विख्यात Cannes Film Festival में शनिवार रात को भारत की दो महिलाओं ने जबर्दस्त धमाल मचाया। भारत की अनुसूया सेनगुप्ता ने बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब जीता। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं। दूसरी ओर भारत की पायल कपाड़िया की फिल्म ने फेस्टिवल का दूसरा सर्वोच्च पुरस्कार जीता। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण था। शनिवार रात इन पुरस्कारों की घोषणा की गई। जानिए कौन है पायल कपाड़िया व अनसूया जिसने Cannes Film Festival में रचा इतिहास।
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तीस वर्षों बाद मुख्य प्रतियोगिता the Palme d’Or तक पहुंची भारतीय फिल्म
Cannes Film Festival की मुख्य प्रतियोगिता में 30 वर्षों में पायल कपाड़िया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एस लाइट’ (Payal Kapadia’s film All We Imagine as Light) पहली भारतीय फिल्म है जो मुख्य प्रतियोगिता तक पहुंची और पुरस्कार जीता। इससे पूर्व 1994 में, मलयालम निर्देशक शाजी एन करुण (Shaji N Karun) की ग्रामीण परिवेश पर बनी फिल्म Swaham (स्वहम) भारत की ओर से पाल्म ड’ओर (the Palme d’Or) के लिए Compete करने वाली आखिरी फिल्म थी।
1946 में भारतीय फिल्म ने जीता था the Palme d’Or
Cannes Film Festival में भारतीय फिल्में व फिल्म स्टार हर वर्ष ही शामिल होते हैं। यह अलग बात है कि प्रतियोगिता में भारतीय फिल्मों को कुछ सफलता हासिल नहीं हुई है। the Palme d’Or जिसे पहले Grand Prix du Festival International du Film के रूप में जाना जाता था, जीतने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’ है। यह 1946 में जीता गया था। इसके अलावा मृणाल सेन के घरेलू कामगारों पर बने नाटक ‘खारिज’ को 1983 में ज्यूरी पुरस्कार मिला था।इस पुरस्कार को लेते समय पायल कपाड़िया ने इसी इतिहास को ध्यान रखकर कहा कि “कृपया और एक भारतीय फिल्म के लिए और 30 साल न इंतजार करें,”।
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कौन है पायल कपाड़िया Who is Payal Kapadiya
मुंबई में जन्मी पायल कपाड़िया ने प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश से प्राप्त की। इसके बाद उन्होने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। बाद में सोफिया कॉलेज़ से मास्टर्स की पढ़ाई की। इसके बाद वह फिल्म डायरेक्शन की पढ़ाई करने के लिए फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से जुड़ गईं. पायल की मां नलिनी मालिनी भारत की फर्स्ट जनरेशन वीडियो आर्टिस्ट हैं.पायल इससे पहले भी कान फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड जीत चुकी हैं. उन्होंने 2021 में ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ (A Night of Knowing Nothing) नाम की एक डॉक्यूमेंट्री डायरेक्ट की थी. जिसे कान फिल्म फेस्ट में 2021 में दी गोल्डन आई अवार्ड मिला था। यह अवार्ड फेस्टिवल की बेस्ट डॉक्यूमेंट्री को दिया जाता है।
शॉर्ट फिल्म से शुरुआत की
उन्होंने 2014 में पहली फिल्म Watermelon, Fish and Half Ghost बनाई थी. इसके बाद 2015 में Afternoon Clouds, साल 2017 में The Last Mango Before the Monsoon बनाई.
पायल ने 2018 में And What is the Summer Saying डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी. Cannes Film Festival में पायल की फिल्म All We Imagine as Light का प्रीमियर 23 मई को हुआ था. इस फिल्म को काफी सराहा गया था। इसे 8 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला था।
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क्या है All We Imagine as Light फिल्म की कहानी
इस फिल्म में Kani Kusruti, Divya Prabha और Chhaya Kadam ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं हैं।
All We Imagine as Light एक मलयालम-हिन्दी फीचर फिल्म है. यह दो नर्सों (प्रभा और अनु) की कहानी है. वह साथ में रहती हैं. प्रभा अरेंज्ड मैरिज किया है। उसका पति विदेश में रहता है।
अनु, प्रभा से छोटी हैं। उसकी शादी नहीं हुई। वह एक लड़के से प्यार करती हैं। प्रभा और अनु अपने दो दोस्तों के साथ एक ट्रिप पर जाती हैं. वहां उन्हें आज़ादी के मायने समझ आते हैं.
यह फिल्म समाज में महिला होने का मतलब समझाती है। एक महिला का जीवन और उसकी आज़ादी जैसे मसलों पर बात करती है।
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अनसूया सेनगुप्ता ने रचा इतिहास, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बनी
यह पुरस्कार Uncertain category में चयनित फिल्म ‘द शेमलेस’ में उनके अभिनय के लिए दिया गया।
इस फिल्म का निर्देशन बुल्गारियाई निर्देशक कोन्सटेंटिन बोजानोव (Constantin Bojanov) ने किया है। इस फिल्म में अनुसूया ने सेक्स वर्कर का किरदार निभाया है।
द शेमलेस’ को 17 मई को 77वें कैन्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था।
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‘एनोरा’ को मिला। पुरस्कार की घोषणा के बाद मंच पर पहुंचे बेकर ने जुरी का धन्यवाद किया।
बेकर ने कहा कि Cannes का सर्वोत्तम पुरस्कार जीतना एक फिल्म निर्माता के रूप में पिछले 30 वर्षों से मेरा एकल लक्ष्य रहा है।
Cannes में किन भारतीय फिल्मों को मिला है पुरस्कार
केन्स में सर्वोच्च पुरस्कार the Palme d’Or award अब तक किसी भी भारतीय फिल्म को नहीं मिला है। दूसरे नंबर का सर्वोच्च पुरस्कार जरूर मिला है। इसके अतिरिक्त मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ ने 1988 कैन्स फिल्म फेस्टिवल में कैमरा ड’और पुरस्कार जीता था। सितंबर 11 आतंकी हमलों से कुछ दिन पहले, नायर की 2001 की क्लासिक फिल्म ‘मानसून वेडिंग’ वेनिस फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन लायन जीती थी। निर्देशक ऋतेश बत्रा की 2013 की प्रशंसित फिल्म ‘द लंचबॉक्स’ ने कैन्स में ग्रैंड गोल्डन रेल पुरस्कार जीता।
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