Kumbhmela 2025 : मकर संक्रांति पर प्रयागराज महाकुंभ में टूटा श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड

साढ़े तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई संगम व गंगा में डुबकी

अद्भुत अविश्वसनीय। प्रयागराज में गंगा यमुना व सरस्वती के संगम से लेकर गंगा यमुना के विभिन्न घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ देखकर यही शब्द कहा जा सकता है कि अद्भुत अविश्वसनीय।

दोपहर एक बजे तक दो करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा व यमुना के विभिन्न घाटों पर डुबकी लगा चुके थे। यह संख्या शाम तक साढ़े तीन करोड़ को पार कर गई। इससे पूर्व सोमवार को पोस्ट पूर्णिमा स्नान पर करीब 2 करोड लोगों ने प्रयागराज में डुबकी लगाई थी। इस तरह महाकुंभ (kumbhmela 2025) पर प्रयागराज ने अपना ही पुराना रिकॉर्ड मंगलवार को तोड़ दिया। अनुमान है कि मौनी अमावस्या 29 जनवरी को श्रद्धालुओं की संख्या के लिहाज से एक ऐसा बेहतरीन रिकॉर्ड बनेगा जो बरसों बरस याद रखा जाएगा। मौनी अमावस्या पर 6 से 7 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान का अनुमान लगाया गया है।

kumbhmela 2025 : अमृत स्नान पर संगम तट पर नागा सन्यासियों ने बिखेरी अद्भुत छटा

आज ही पहला अमृत स्नान (Amrit Snan) जिसे पहले शाही स्नान कहा जाता था वह भी रहा। सुबह 5:30 बजे से ही शाही स्नान शुरू हो गया था। एक-एक करके तेरा अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर और भक्तों के साथ संगम में डुबकी लगाई। इस दौरान संगम तट की छटा देखते ही बनती थी।

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महानिर्वाणी से हुई अमृत स्नान (Amrit Snan) की शुरुआत

अमृत स्नान (Amrit Snan) की शुरुआत में सबसे पहले महा निर्वाणी अखाड़े ने संगम में डुबकी लगाई। इसके साथ ही अखाड़े के संगम पहुंचने का सिलसिला चल निकला। सुबह 11:00 बजे तक नागा संन्यासियों के सभी अखाड़े संगम स्नान कर चुके थे और वैरागियों का स्नान शुरू हो चुका था। सबसे अंत में सिखों के उदासीन अखाड़े ने संगम में डुबकी लगाई। विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर गाजे बाजे के साथ रथो पर सवार होकर संगम पहुंचे। उनके साथ ढेर सारे संत महंत और भक्त हाथियों और घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे। इस दौरान जय गंगा मैया और हर हर महादेव के नारे लगाए जा रहे थे।

kumbhmela 2025 के पहले अमृत स्नान को देखने के लिए जुटी भारी भीड़

नागा संन्यासियों का हुजूम देखने के लिए अखाड़ा पथ के दोनों और श्रद्धालुओं के भारी भीड़ जमा रही। श्रद्धालु हर हर महादेव जय श्री राम के नारों से संन्यासियों का अभिवादन कर रहे थे रातों पर सवार महामंडलेश्वर श्रद्धालुओं पर फूल फेंक कर उन्हें प्रसाद दे रहे थे बहुत से महामंडलेश्वरों ने इलायची दाने और बताशे की भी वर्षा श्रद्धालुओं की तरफ की।

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