Mahakumbh 2025 : भारत का “बड़ा भाई” वाला रुख नेपाल में बढ़ा रहा अलगाव

Mahakumbh 2025 : ईसाई मिशनरी व कम्युनिस्ट मिल कर भारत विरोधी रुख को दे रहे हवा
Mahakumbh 2025 : हिमालय की गोद में बसा नेपाल। किसी जमाने में दुनिया का इकलौता हिन्दू राष्ट्र था। आबादी व क्षेत्रफल के लिहाज से भारत के मुकाबले बहुत छोटा होने के बावजूद इसकी अपेक्षाएं आसमान छूने की रही है। नेपाल के लोगों की इसी भावना का ईसाई मिशनरी व कम्युनिस्ट फायदा उठा रहे हैं और स्थानीय लोगों को भारत के खिलाफ भड़का रहे हैं। इनका आरोप है कि भारत हमेशा  “बड़ा भाई” वाला रुख दिखा कर नेपाल को नीचा दिखाता है जबकि एक स्वतंत्र देश होने के नाते नेपाल को भारत की बराबरी का दर्जा प्राप्त है।

Mahakumbh 2025 : नेपाल से आए महामंडलेश्वर भारत विरोधी माहौल की बता रहे सच्चाई 

प्रयागराज महाकुंभ में नेपाल के देवघाट से आए महामंडलेश्वर आत्मानंद गिरि के अनुसार ईसाई व कम्युनिस्ट 1991 में राजसत्ता समाप्त होने के बाद से ही माहौल बनाने में लगे हुए थे। धीरे धीरे भारत विरोधी भावना को वह बलवती बनाते जा रहे हैं। इनका कहना है कि भारत नेपाल के लिए एक नकारात्मक देश है। भारत अपनी सीमाओं को बंद करके नेपाल को नमक व चीनी तक के लिए तरसा सकता है। इसलिए नेपाल को अपने दूसरे पड़ोसी चीन के साथ स्थिति बेहतर रखने की जरूरत है।

कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा के सीमा विवाद ने बढ़ाया तनाव

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर आत्मानंद गिरि के अनुसार राजशाही के दौरान भारत व नेपाल के संबंध बेहतर थे। राजशाही की समाप्ति के बाद सत्ता में आए माओवादियों ने  कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा पर दावा करके भारत के साथ सीमा विवाद को बढ़ावा दिया। अब इस समय सीमा विवाद दोनों देशों के बीच एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

क्या है कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा का विवाद

यहां यह जानना जरूरी है कि कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा का विवाद है क्या। कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा उत्तराखंड में भारत, नेपाल व तिब्बत यानी चीन की सीमा के त्रिकोण पर स्थित है और रणनीतिक रूप से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत का कहना है कि आजादी के समय अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के समय 1879 का नक्शा सौंपा था। इसमें कालापानी, लिपुलेख व लिम्पियाधुरा को भारत का हिस्सा बताया गया था। अंग्रेजो व नेपाल के 1815 में सुगौली संधि हुई थी। इसमें नेपाल की सीमा निर्धारित की गई थी। इस संधि में काली नदी को नेपाल की पश्चिम सीमा माना गया था। इसमें काली नदी की कौन सी धारा को सीमा माना जाए इसका कोई उल्लेख नहीं था। काली नदी की दो धारा होने के नाते भारत नेपाल सीमा को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया।  

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भूटान नहीं बनना चाहता नेपाल

महामंडलेश्वर आत्मानंद गिरि के अनुसार कई भारतीय नेताओं ने समय समय पर भारत को बड़ा भाई बताते हुए नेपाल को छोटा भाई बताया है। भारतीय नेताओं के यह बयान नेपाल में काफी नकारात्मक रूप से लिए गए। नेपाल में यह भावना भरी जा रही है कि भारत नेपाल को भूटान की तरह बनाना चाहता है। इससे नेपाल की सार्वभौमिकता खतरे में पड़ जाएगी। महामंडलेश्वर आत्मानंद गिरि के अनुसार भारतीय राजनेताओं को नेपाल के लोगों की भावनाओं काे ध्यान रख कर व्यवहार करना चाहिए।

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