Mahakumbh 2025 : भारत के उत्तर में हिमालय की गोद में बसा देश नेपाल (Nepal)। 1991 तक यह विश्व का इकलौता हिन्दू राष्ट्र होता था। राजशाही के अंत के बाद लोकतंत्र बने नेपाल ने नया संविधान बनाया और इसमें खुद को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर दिया। इस तरह अचानक इकलौते हिन्दू राष्ट्र होने के गौरव को छोड़ कर धर्मनिरपेक्ष बना दिया गया नेपाल अब छटपटा रहा है। कम्युनिस्ट, ईसाई मिशनरियों और इस्लामिक संस्थाओं के बढ़ते प्रभाव के बीच पिछले लगभग ढाई दशक बाद नेपाल एक बार फिर सनातन राष्ट्र बनने को आतुर है। महाकुंभ में शामिल होने प्रयाग आए नेपाल के पहले मंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद गिरि इस कार्य में भारत और भारतीय संतों से मदद की गुहार लगा रहे।
कभी परतंत्र नहीं रहा इकलौता हिन्दू राष्ट्र Nepal
विश्व में एक मात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल था। भारत तो करीब हजार साल गुलाम रहा पर नेपाल कभी परतंत्र नहीं रहा। सिर्फ राजाशाही ही थी। नेपाल के इस गौरव शाली इतिहास को मिटा दिया गया है। नेपाल के लोग इस इतिहास को दोबारा जीवंत करना चाहते हैं।
Nepal में मदरसों व चर्च की संख्या में 400 प्रतिशत की वृद्धि
सनातन धर्म नेपाल की मिट्टी से जुड़ी है। महंत आत्मानंद गिरि (Mahant atmanand giri) के अनुसार नेपाल में 92 प्रतिशत सनातनी रहते हैं। यहां 250 वर्ष पुरानी राजव्यवस्था को समाप्त कर धर्मनिरपेक्ष के रूप में नेपाल को प्रतिष्ठित किया है। जनता धर्मनिरपेक्ष से संतुष्ट नहीं है। धर्म निरपेक्षता के नाम पर राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत की तरह नेपाल में भी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का काम किया जा रहा है। हालात यह हैं कि माओवादियों के सत्ता में आने के बाद नेपाल में चर्च व मदरसा 400 प्रतिशत बढ़ गए। दुर्गम प्रदेशों खास कर पहाड़ों में गरीब जनता को प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। ऐसे में जो घटना बांग्लादेश में घटी वह नेपाल में न घटे इसके लिए सभी चिंतित है।
अटका विकास, खुल कर हो रही बंदरबाट
राजनीतिक उथल पुथल के चलते Nepal अस्त व्यस्त हो गया है। नेपाल का विकास बहुत ही मंथर गति से हो रहा है। फिलहाल जो भी उपलब्ध संसाधन हैं, उनका बंदरबाट हो रहा है। महंत आत्मानंद गिरि के अनुसार राजा के जमाने में नेपाल में पांच प्रदेश थे। माओवादियों ने पांच प्रदेशों को विघटित कर सात प्रदेश बना दिए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर देश के बराबर भी नेपाल नहीं है। सिर्फ तीन करोड़ की आबादी है। इसके बावजूद इसके सात भाग कर दिए। ऐसा सिर्फ अपने लोगों को पद व सत्ता का लाभ देने के लिए किया गया।
मठों मंदिरों पर किए जा रहे कब्जे
महंत आत्मानंद गिरि (Mahant atmanand giri) के अनुसार नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टियां मठों-मंदिरों पर कब्जे कर रही हैं। सभी बड़े मंदिरों के प्रबंधन में गैर सनातनियों की नियुक्ति की जा रही है। इसका जबर्दस्त विरोध किया जा रहा है। पशुपति मंदिर, दामोदर कुंड, जानकी मंदिर आदि सभी संस्थाओं में राजनीतिक दल अपने प्रतिनिधियों को एमडी व अन्य पदों पर रख कर मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप कऱ रहे हैं।
गोधन की हत्या के बाद फूटा था आक्रोश
ऩेपाल में गाय को पहले राष्ट्रीय पशु की मान्यता थी। नए संविधान में ईसाई व मुसलमानों के दबाव में गोधन को राष्ट्रीय पशु से हटा दिया था। दो वर्ष पहले पूर्व के धरांग में ईसाई मिशनरियों ने मंदिर की भूमि पर गोवंश को काटकर खाया और मंदिर की जमीन पर चर्च भी बना दिया। इसका जबर्दस्त विरोध हुआ। इसके बाद गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया गया। इस घटना ने नेपाल में सनातनी चेतना को एक बार फिर जाग्रत करने का कार्य किया है।
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फूट डालो राज करो की तर्ज पर काम कर रहे माओवादी
भारत की तरह नेपाल में भी ईसाई मिशनरियां व माओवादी जनजातियों के मन में विष भर रहे हैं। यह झूठ फैला रहे कि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य आदि ने हजारों वर्षों से जनजातियों का शोषण किया है। इसलिए इनका विरोध करना चाहिए। फूट डालो राज करो कि उनकी यह नीति नेपाल में भी सफल होते ऩजऱ आ रही है। धीरे धीरे ऩेपाली समाज में भी विघटन के बीज अंकुरित होऩे लगे हैं।
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भारत और भारतीय संत नेपाल के सनातनियों का करें समर्थन
कभी नेपाल की करेंसी नोट पर लिखा रहता था श्री श्री गोरखनाथ हमारी रक्षा करें
गोरखनाथ बाबा की तपोस्थली नेपाल का गोरखा जिला रहा। वहां से महात्मा आए व गोरखपुर में बसे। नेपाल के देवघाट से आए महंत आत्मानंद गिरि (Mahant atmanand giri) के अनुसार सही शब्द गोरक्षक है। गोरक्षक से अपभ्रंश होकर गोरखा बना। नेपाल के राजा प्रताप नारायण साहा गोरखा जिले से ही थी। उन्होंने गोरखा से काठमांडु जाकर तत्कालीन सभी 27 राजाओं को एक कर अखंड नेपाल की स्थापना की। उस समय नेपाल की करेंसी में श्री श्री गोरखनाथ हमारी रक्षा करें, ऐसा लिखा होता था। अब इसे हटा दिया गया है।