आखिरकार महाकुंभ 2025 में वह हो गया, जिसकी लगातार आशंका जताई जा रही थी। मुख्य संगम तट पर अचानक मची भगदड़ में 17 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। पूरी घटना के पीछे पुलिस प्रशासन की लापरवाही जवाबदार है। पुलिस की लापरवाही इससे भी पता चलती है कि एक दिन पूर्व ही श्रद्धालुओं के भारी भीड़ के बीच कई स्थानों पर भगदड़ मची थी। इसमें कई लोग घायल भी हुए थे. इसकी जानकारी होने के बावजूद पुलिस संगम पर भगदड़ रोकने का कोई इंतजाम नहीं कर पाई।
आखिर कैसे मची महाकुंभ 2025 के संगम क्षेत्र में भगदड़
महाकुंभ 2025 के मेले में भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था पहले दिन से सवालों के घेरे में रही है। पुलिस भीड़ को न तो नियंत्रित कर पाई और न ही डायवर्ट कर पाई। पुलिस संगम की ओर बढ़ रहे श्रद्धालुओं तक यह बात भी नहीं पहुंचा पाई कि संगम पर भारी भीड़ है। आप कहीं और स्नान कर लें।
संगम क्षेत्र खाली कराने की योजना पड़ी भारी
संगम क्षेत्र में मची भगदड़ व 17 मौतों के पीछे कहीं संगम क्षेत्र श्रद्धालुओं से खाली कराने की योजना तो जवाबदार नहीं है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि बहुत से श्रद्धालुओं ने बताया कि रात 11 बजे ही पुलिस ने आकर संगम क्षेत्र में सो रहे श्रद्धालुओं को जगा कर संगम में डुबकी लगाने के लिए भेजना शुरू कर दिया था। श्रद्धालुओं का कहना था कि पुलिस ने श्रद्धालुओं को जबर्दस्ती घाट की ओर भेजा पर घाट पर भगदड़ न मचे, इसकी कोई व्यवस्था नही की। इसके चलते घाट पर भीड़ काफी बढ़ गई। इसी में मची भगदड़ ने 17 की जान ले ली।
यातायात व्यवस्था तक न संभाल पाने वाली उप्र पुलिस भीड़ कैसे संभालती
जो उत्तर प्रदेश पुलिस सामान्य दिनों में यातायात नहीं संभाल पाती, उस पुलिस से करोड़ों की भीड़ को नियंत्रित करने और महाकुंभ के मौनी अमावस्या जैसे पर्व को संभालना कभी भी आसान नहीं था। हुआ भी वही। उत्तर प्रदेश पुलिस को यातायात व्यवस्था संभालना हो या भीड़ को, पुलिस को सिर्फ रोड ब्लाक करना या रास्ता बंद करना ही आता है। मंगलवार को जब मेला क्षेत्र में भारी भीड़ उमड़ी थी, तो उत्तर प्रदेश पुलिस सारे पांटून पुल बंद करके बैठी थी। हालात यह थे कि कहीं से भी निकला श्रद्धालु जब संगम की ओर बढ़ रहा था तो संगम का रास्ता तो बंद था ही, गंगा जी को पार कर दूसरी ओर थोड़ा खुले मैदान में जाने का रास्ता भी बंद था। भीड़ में दबे श्रद्धालु वहां से किसी तरह निकलने के चक्कर में बार बार बैरीकेटिंग पर जोर आजमाइश कर रहे थे। अंततः 11 बजे के बाद पांटून पुल खोले गए। मौनी अमावस्या पर भी यही हालात रहे। पुलिस सारे पुलों को बंद करके बैठी थी। संगम जाने वाले मार्गों में से सिर्फ एक ही मार्ग खुला था। बाकी बंद करके बैठी थी।
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दिन में मची भगदड़ से सबक लिया जाता तो बच जाती जानें
मंगलवार को मेला क्षेत्र के कई स्थानों पर भगदड़ मची थी। कई लोग घायल भी हुए। पी न्यूज ने घायलों से बातचीत को प्रसारित भी किया था। इन घटनाओं से पुलिस ने सबक लिया होता तो 1 जानें न जाती। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के कानों में जूं नहीं रेंगी। अंततः यह दुखद घटना घट गई।
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पिछले कई दिनों से भर रहा था मेला क्षेत्र
मौनी अमावस्या माघ माह का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्नान पर्व माना जाता है। इस दिन स्नान के लिए हमेशा से भारी भीड़ उमड़ती रही है। महाकुंभ 2025 में भी मेला क्षेत्र में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मेला क्षेत्र में कई दिनों पहले से ही श्रद्धालु आने लगे थे और मौनी अमावस्या के स्नान के लिए रुकने लगे थे। लगातार भर रहा मेला क्षेत्र मंगलवार तक श्रद्धालुओं से पूरी तरह पट गया था। प्रयाग आए श्रद्धालुओं की एक ही मंजिल रही, वह है संगम क्षेत्र। दूसरी ओर पुलिस ने अपनी आदत के मुताबिक संगम की ओर जाने वाले रास्तों को बंद करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी।