mahakumbh 2025 : योगी सर, अपने प्रिय पुलिस अधिकारियों को भी 14 किमी पैदल चलवाइए न..

  यातायात व्यवस्था संभालना नहीं सीख पाई मुख्यमंत्री की प्रिय पुलिस, जाम से चित्कार रहा महाकुंभ नगर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लगभग हर इंटरव्यू में एक दृष्टांत जरूर बताते हैं। वह बताते हैं कि जब वह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने सभी सचिवों को बुलाया और उनसे कहा कि वह अवकाश ले लें और उसे स्थान पर सपरिवार जाएं जहां वह आइएएस बनने के बाद पहली बार तैनात हुए थे। अपनी पहली पोस्टिंग से उन्नति करते करते वह सब केंद्र सरकार में सचिव बन चुके हैं पर क्या उस जगह की स्थिति या हालात बदले हैं, जहां वह पहली बार तैनात हुए थे। अपनी पहली तैनाती की जगह पर जाने के बाद अधिकारियों ने देखा कि जहां वह पहली बार 25 से 30 साल पहले तैनात हुए थे, उसकी स्थिति आज भी वही है जबकि उनका खुद का दर्जा तब से काफी ऊंचा हो चुका है। प्रधानमंत्री कुल मिलाकर यह बताते हैं कि अधिकारियों को जमीनी स्थिति का अनुभव खुद करना चाहिए, तभी वह अच्छे प्रशासक बना सकते हैं। योगी सर, महाकुंभ नगर की यातायात व्यवस्था से जुड़े अपने प्रिय पुलिस अधिकारियों को भी जरा 14 किमी पैदल चलने का आदेश दें।

Mahakumbh 2025 के मौनी अमावस्या पर 12 से 15 किमी दूर रोक दिए जाएंगे वाहन

उत्तर प्रदेश पुलिस को यातायात व्यवस्था संभालना कभी नहीं आया। महाकुंभ के आयोजन को अगर छोड़ भी दें तो आम दिनों में भी पुलिस से यातायात नहीं संभलता. उत्तर प्रदेश पुलिस किसी भी नगर में जाम की समस्या कम करने के नाम पर सिर्फ एक काम करना जानती है। वह है वाहनों पर रोक थाम। इसके अतिरिक्त पुलिस को यातायात व्यवस्था में कुछ नहीं आता। उत्तर प्रदेश पुलिस महाकुंभ 2025 के आयोजन में भी यही काम कर रही है। महाकुंभ नगर में जाम न लगे, इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने संगम स्नान को आ रहे श्रद्धालुओं के वाहनों को 15 से  20 किमी दूर ही रोकने की योजना बनाई है। जैसे लखनऊ की ओर से आने वाले वाहनों को बेली कछार में बने पार्किग स्थल से  करीब  12 किमी पैदल  इसके लिए नगर के प्रवेश द्वारों के आसपास पाकिंग स्थल बनाए गए हैं। इन पार्किंग स्थलों से श्रद्धालुओं को पैदल ही संगम आना पड़ेगा।  

जाम से चित्कार रहा महाकुंभ नगर व प्रयागराज

उत्तर प्रदेश पुलिस की इस अफलातून यातायात व्यवस्था के बावजूद पिछले लंबे समय से महाकुंभ नगर व प्रयागराज जाम से चित्कार रहा है। दोनो ही नगरों के सारे प्रमुख चौराहे सुबह 11 बजे से ही जाम हो जाते हैं। सड़कों पर वाहन घिसटते रहते हैं। यह नजारा किसी भी दिन देखा जा सकता है। 23 जनवरी को भी नजारा अलग नहीं था। पुलिस ने संगम नोज से लेकर त्रिवेणी मार्ग तक के सारे पांटून पुल दिन में बंद कर रखे थे। सारा ट्रैफिक काली सड़क पर मोड दिया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काली सड़क पर भीड़ के क्या हालात हुए होंगे। महाकुंभ नगर के हर्षवर्धन मार्ग से लेकर संगम लोअर मार्ग तक के मार्गों को दोपहर में लंबे समय तक बंद रखा गया। बताया गया कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का काफिला गुजरेगा। इससे सेक्टर18, 19 व 20 में लंबा जाम लगा रहा। नगर क्षेत्र में बालसन चौराहे से लेकर शास्त्री पुल व नए पुल तक का एरिया लगातार जाम रहा। वाहन रेंगते रहे। इन सबके बीच श्रद्धालु अपना बोरिया बिस्तर उठाए मीलों पैदल चलने को विवश रहे। यह हाल आम दिनों का है। मौनी अमावस्या पर क्या होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।   

योगी सर, पिक एंड ड्राप जैसी भी कोई सुविधा होती है, पुलिस को बताइए न…

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद योगी आदित्यनाथ का सबसे प्रिय कोई विभाग रहा तो वह पुलिस विभाग ही रहा। कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने को ही वह अपने आठ वर्षीय शासन काल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते रहे हैं। अन्य विभागों से उनका कोई खास लेन देन नहीं रहा। पुलिस को इतना महत्व देने के बावजूद, पुलिस ही योगी मोदी के महत्वाकांक्षी आयोजन महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा दर्द दे रही है। मीलों पैदल चलवाने का रिकार्ड बनवा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर परिवहन संचालन को आसान बनाने की व्यवस्था करने की जगह बैरिकेडिंग लगाकर खुद ही जगह जगह रास्ता ब्लाक करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस को पिक एंड ड्राप व्यवस्था का पता नहीं है. पुलिस वन वे लागू करके ऐसी व्यवस्था बना सकती थी जिससे कि वाहन श्रद्धालुओं को संगम व गंगा के घाटो के निकटतम स्थान तक पहुंचा कर वापस च जाते। स्नान के बाद किसी निश्चित स्थान से श्रद्धालुओं को पिक कर लेते। महाकुंभ नगर में वाहनों का संचालन सुचारू रखने के लिए व्यवस्था कर दी जाती।

मोदी के दृष्टांत से सीखने को तैयार नहीं योगी 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री द्वारा बार बार बताए गए दृष्टांत से कुछ सीखने को तैयार नहीं है। अन्यथा वह महाकुंभ की यातायात व्यवस्था का खाका तैयार करने वाली अपनी पुलिस और उसके वरिष्ठ अधिकारियों से आम जनता की तरह 12 से 14 किमी पैदल चल कर संगम स्नान करने और लौट कर वाहन पकड़ने की कोशिश करने को जरूर कहते। ऐसा होने पर अधिकारी जरूर यातायात व्यवस्था को जाम से मुक्त और श्रद्धालुओं की सुविधा से युक्त बना लेते। आम जनता को 12 से 14 किमी पैदल चला कर अपनी यातायात व्यवस्था को सफल व बेहतरीन बताने वाले अधिकारियों से कोई भी इतनी दूर पैदल चलने के बाद खड़ा रह पाएगा, कहना मुश्किल है।


13 आइपीएस, 60 पीपीएस, 7500 कान्स्टेबल, एसआइ व इन्स्पेक्टर भी नहीं संभाल पा रहे यातायात

हकीकत यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रिय उत्तर प्रदेश पुलिस को यातायात व्यवस्था संभालना कभी नहीं आया। महाकुंभ नगर (Mahakumbh 2025) और प्रयागराज की यातायात व्यवस्था इसका बेहतरीन उदाहरण है. दोनो ही नगर इन दिनों भीषण जाम से कराह रहे हैं पर अधिकारी सड़कों को ब्लाक करने और वाहनों को चलने से रोक देने के अलावा कोई काम नहीं कर रहे। प्रयागराज व महाकुंभ नगर में यातायात व्यवस्था संभालने के लिए 13 आइपीएस, 60 पीपीएस, 7500 कान्स्टेबल, एसआइ व इन्स्पेक्टर तैनात है। इनके साथ ही 23 कंपनी अर्द्धसैनिक बल व पांच कंपनी पीएसी भी तैनात की गई है. इसके बावजूद हर तरफ जाम ही जाम है।

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पैदल यात्रियों पर भी तमाम प्रतिबंध लागू  

मुख्यमंत्री की प्रिय उत्तर प्रदेश पुलिस सिर्फ वाहनों पर ही प्रतिबंध लगाकर खुश नहीं है. पैदल यात्रियों पर भी तमाम प्रतिबंध लगे हैं। जैसे कि एडीसी के सामने से परेड मैदान में प्रवेश पर रोक लगा रखी है।  प्रयागराज जंक्शन व प्रयागराज छिंवकी स्टेशन व बस अड्डों से आने वाले यात्रियों को एडीसी के सामने से परेड में घुसने की मनाही है. इन्हें वहां से डेढ़ किमी दूर  फोर्ट रोड चौराहे से मेला क्षेत्र में प्रवेश करने को कहा जा रहा है। मतलब जो दूरी चल कर श्रद्धालु गंगा के किनारे तक पहुच सकता था, उतनी दूरी उससे सिर्फ प्रवेश मार्ग तक पहुंचने के लिए चलाया जा रहा है. मेला क्षेत्र में भी यही हालात हैं। इस स्थिति से बचने के लिए बहुत से यात्री बड़े खतरनाक ढंग से रेलिंगों के बीच घुस कर श्यामा  प्रसाद मुखर्जी पुल पर चढते नजर आए।

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