महाकुंभ 2025 (Mahakumbh2025) में उमड़ रही भीड़ पैदल चल कर परेशान हुई जा रही है। इस परेशानी से बचने के लिए बहुत से श्रद्धालु सरस्वती घाट, बलुआ घाट व अरैल से नाव पकड़ कर संगम जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु ठगे जा रहे हैं। नाव से एक किमी की दूरी तय करने के लिए दस हजार रुपये प्रति व्यक्ति तक मांगा जा रहा है। वैसे तो राज्य सरकार ने कुंभ मेले की शुरुआत में नाव से संगम यात्रा का रेट तय कर दिया था पर यह किराया कागज पर ही रह गया। हकीकत यह है कि कुंभ में पैदल चल चल कर थक रहे तीर्थयात्रियों को बाइकर्स व नाविक खुल कर लूट रहे हैंं और राज्य सरकार व उसका पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है। महाकुंभ में तैनात पुलिस व प्रशासन के दर्जनों वरिष्ठ अधिकारियों मेें से किसी को भी श्रद्धालुओं की परवाह नहीं है।
पहले पर्व से श्रद्धालुओं को लूट रहे बाइकर्स
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh2025) का क्षेत्रफल काफी बढ़ा दिया गया है। यात्रियों के वाहनों को संगम से मीलो दूर रोक देने के चलते अधिकांश श्रद्धालुओं को दस से 15 किमी पैदल चलना पड़ रहा है। ऐसे में बहुत से लोगों की हिम्मत जवाब दे जाती है। महाकुंभ 2025 के पहले ही स्नान पर्व पर ऐसे श्रद्धालुओं को सुविधा देने के नाम पर बहुत से बाइकर्स मैदान में उतर आए थे। इन बाइकर्स ने एक एक किमी के लिए पांच सौ से हजार हजार रुपये श्रद्धालुओं से लूटे थे। थके हारे श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा उठा कर खुले आम लूटने वाले कुछ बाइकर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई पर इसके बाद सारा मामला ठंडा पड़ गया। इस समय पूरे मेला क्षेत्र में किसी भी मार्ग से प्रवेश करने जाएं, बाइकर्स की लंबी लंबी कतार देखने को मिलेगी जो श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए मनमाना किराया वसूल रहे हैं। पुलिस व प्रशासन ने इनकी ओर देखना भी अब बंद कर दिया है।
नाव से एक किमी का किराया दस हजार रुपये प्रति व्यक्ति
महाकुंभ (Mahakumbh2025) की शुरुआत से पूर्व ही कुंभ मेला प्राधिकरण ने नाविकों के साथ बैठक कर किराया निर्धारित किया था। साथ ही नाविकों को लाइफ जैकेट भी उपलब्ध कराए गए थे। सारी कवायद के बावजूद नाविक श्रद्धालुओं को खुल कर लूट रहे हैं। हालात यह है कि सरस्वती घाट से संगम एक किमी से भी कम दूर है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का कहना है कि नाव के लिए सरस्वती घाट से दस हजार रुपये प्रति व्यक्ति तक मांगे जाते है। इसके बाद भावतोल करके श्रद्धालुओं को ले जाया जाता है। सरकारी रेट पर ले चलने को कहने पर साफ मना कर दिया जाता है। जो श्रद्धालु चलने की स्थिति में नहीं होते वह तो मजबूरी में पैसे दे देते हैं अन्यथा सरस्वती घाट से पैदल परेड होते हुए संगम की ओर श्रद्धालु जाते हैं। इन नाविकों पर अंकुश लगाने के लिए कोई भी नहीं है।