महाकुंभ 2025 (mahakumbh2025) का अवसर 144 वर्ष बाद आया है कि नहीं, यह एक विवाद व बहस का विषय हो सकता है, पर वास्तविकता यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अचानक से प्रचारित किया गया यह दावा पूरी तरह हिट रहा। इस दावे ने महाकुंभ 2025 (mahakumbh2025) को सुपर हिट बना दिया। न भूतो न भविष्यति की तर्ज पर महाकुंभ 2025 में जबरदस्त भीड़ उमड़ी। 24 फरवरी तक तीर्थराज प्रयाग के दरबार में करीब 64 करोड़ श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैंं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रयागराज पहुंचने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं का कहना था कि अगर 144 वर्ष बाद का मामला न होता तो वह महाकुंभ 2025 में न आते।
12 पूर्ण कुंभ के बाद आया है महाकुंभ 2025 का अवसर
आखिर यह 144 वर्ष का मामला है क्या। महाकुंभ 2025 (mahakumbh2025) जैसे जैसे नजदीक आ रहा था, उत्तर प्रदेश सरकार इसका प्रचार प्रसार तेज कर रही थी। इस बीच एक नई अवधारणा गढ़ी गई। इसमें तीन तरह के कुंभ के बारे में बताया गया। पहला कुंभ, दूसरा पूर्ण कुंभ और तीसरा महाकुंभ। प्रयाग राज में छह वर्ष में लगने वाले अर्द्धकुंभ को कुंभ बताया गया, 12 वर्ष में लगने वाले कुंभ को पूर्ण कुंभ कहा गया। 12 पूर्ण कुंभ के बाद आने वाले कुंभ को महाकुंभ बताया गया। इसी के साथ ही यह दावा किया गया कि 2025 में आयोजित होने वाला कुंभ सामान्य कुंभ नहीं वरन महाकुंभ है और यह अवसर 144 वर्ष बाद यानि 12 पूर्ण कुंभ के बाद आया है। 144 वर्ष बाद का अवसर होने की बात जबरदस्त ढंग से हिट गई। इसने पूरे आयोजन को लेकर सनातन धर्मियों में एक ऐसी लहर पैदा कर दी जिसमें हर कोई किसी भी कीमत पर तीर्थराज प्रयाग पहुंचने को आतुर हो गया।
144 वर्ष बाद के mahakumbh2025 की धूम: अहमदाबाद से बाइक पर आए बाबा जानी
यह पूछे जाने पर कि अगर 144 साल वाली बात न होती तो आप आते क्या, बाबा जानी ने तुरंत इनकार किया। बोले बिल्कुल न आता। बाबा जानी को यह नहीं पता कि धार्मिक परंपरा के अनुसार कुंभ किस महीने में मनाया जाता है। यह भी नहीं पता कि कुंभ या महाकुंभ कब समाप्त हुआ। बस सरकारी विज्ञापनों में जो बताया गया वही पता है कि महाकुंभ 2025 26 फरवरी को समाप्त हो रहा है। साथ ही बाबा जानी का कहना था कि यह 144 साल बाद हो रहा है इसलिए इस महाकुंभ कहते हैं।
21 फरवरी को दोपहर 3.30 बजे अहमदाबाद से निकले बाबा जानी 22 की रात को प्रयागराज पहुंच गए थे। 23 को संगम स्नान करने के बाद वह अहमदाबाद के लिए वापस रवाना हो गए।
144 वर्ष की बात न होती तो न आते….
144 वर्ष के फंडे के चलते भाग कर प्रयाग पहुंचने वाले बाबा जानी इकलौते व्यक्ति नहीं थे। गुजरात के सूरत से आए विनय भाई व उनके साथी भी इसी में शामिल रहे। कुंभ या महाकुंभ धार्मिक परंपरा के अनुसार कब आयोजित होता है, इसकी तो विनय भाई को जानकारी नहीं थी पर यह पता था कि 26 फरवरी को महाकुंभ खत्म होगा। यह पूछे जाने पर कि अगर 144 साल की बात ना होती तो क्या आप कुंभ में आते, विनय भाई का कहना था कि बिल्कुल नहीं।
प्रवीण तोगड़िया के राष्ट्रीय बजरंग दल से जुड़े सूरत गुजरात के विनय भाई कुंभ की आभा देखकर अभिभूत रहे। विनय भाई ने कहा यहां पर हिंदुत्व साफ दिखता है। जाम कितना मिला यह पूछे जाने पर गुजरात से अपने टोली के साथ बस से आए विनय भाई का कहना था कि भगवान को पाने के लिए थोड़ा कष्ट सहना पड़ता है। कुल मिलाकर विनय भाई व उनके साथी 144 वर्ष बाद आए अवसर पर प्रयागराज पहुंच कर अभीभूत रहे।
फियर आफ मिसिंग आउट सिंड्रोम ने बढ़ाई महाकुंभ 2025 में भीड़ ः महंत रामगोपाल दास
महंत रामगोपाल दास के अनुसार बहुत से ऐसे भी हिंदू हैं जो मंदिर नहीं जाते। गंगा जी नहीं जाते। इसके बावजूद हिंदू बने रहते हैं। अब सबके हृदय में यह बात है कि अगर हम गंगा नहीं ना आएंगे तो आउट ऑफ ट्रेंड हो जाएंगे। 144 वर्ष पहले कौन आया होगा, पता नहीं। कितने लोग नहाए, नहीं नहाए और आगे 144 वर्ष बाद पता नहीं कौन जिंदा रहेगा। साइकोलॉजी की एक थ्योरी है फियर ऑफ़ मिसिंग आउट। यही सबको हो रहा है कि अगर 144 वर्ष बाद मिले इस अवसर पर मैं नहीं जाऊंगा तो शायद मैं कुछ मिस कर जाऊंगा। तो हमें जाना ही होगा नहीं तो सोशली बॉयकॉट हो जाऊंगा। mainstream में नहीं रह जाऊंगा। तो हमको जाना ही जाना है …हर हाल में जाना है…।
हिन्दू समाज की रुग्णता दूर करने में सहायक बना 144 वर्ष का प्रयोग
महंत रामगोपाल दास के अनुसार आज हर सनातनी के दिल में यह बात आई है। तो सनातनियों को जागरूक करने के लिए जो प्रयोग हुआ वह सही रहा। अब 144 वर्ष पूर्व कौन सी कौन सी घटना घट रही थी, कौन सी ज्योतिषीय स्थिति थी, वह पूरा रिपीट हो रही है कि नहीं हो रही है, इस पर मेरा कोई शोध नहीं है। लेकिन मैं महसूस करता हूं कि साइकोथेरेपी के तहत हिंदू समाज में जो रुग्णता आई थी उसको चेतन करने में यह जो प्रयोग हुआ है, वह बहुत ही सराहनीय है, बहुत ही वंदनीय है, बहुत ही स्तुत्य है।
ईश्वरीय आदेश से सृजित हुआ होगा 144 वर्ष का फंडा
महंत रामगोपाल दास का कहना था कि 144 वर्ष का यह फंडा जरूर कॉस्मिक ऑर्डर (ईश्वरीय आदेश) के तहत हुआ होगा। अगर किसी काे ठगना होता है तो इस फंडे का इतनी तेजी से प्रसार न होता। सबके हृदय को जो चीज छू जाए वह बात बेहतर होती है। आज 144 वर्ष बाद महाकुंभ आने की बात को सभी ने स्वीकार किया है। ऐसी बातों के लिए शास्त्र कहते हैं कि यद्यपि वह वैदिक हो या न हो, अगर उसको लोक समर्थन हो गया तो वह वैदिक न होकर भी वैदिक हो जाता है। तो परिणाम अच्छा है। फलस्वरुप जो भी प्रयोग हुआ है वह बहुत ही स्तुत्य है, सराहनीय है। हम इसको नमन करते हैं.