Impact of Rahul Gandhi : विरोध के बाद भी बढ़ते रहे Ambani व Adani के शेयर

क्या जनता ने किया राहुल पर भरोसा या Ambani व Adani पर बरसाए नोट, क्या रहा Impact of Rahul Gandhi on adani-ambani shares
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी राजनीतिक रूप से पूरी तरह असफल व्यक्ति रहे हैं। कम से कम जनता तो उनकी बातों पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। राहुल गांधी के विरोध का Ambani व Adani के शेयरों पर कोई असर (Impact of Rahul Gandhi on Adani Ambani shares) नहीं हुआ.
लोकसभा चुनाव के नतीजे बाद में आएंगे, पर शेयर मार्केट की रिपोर्ट इसका जवाब स्पष्ट रूप से दे रही है। हालात यह है कि जिन Ambani व Adani को राहुल गांधी पानी पी पीकर कोसते रहे, कहते रहे कि यह दोनो जनता को लूट रहे हैं, उन अडानी, अंबानी को जनता ने सिर आंखों पर बिठाया. Rahul Gandhi के विरोध के बाद भी Ambani व Adani के शेयरों की कीमतें साल भर में दोगुनी हुई. यह सबकुछ हुआ जनता के विश्वास की वजह से। जनता ने अडानी व अंबानी की अधिकांश कंपनियों के शेयरों पर जमकर पैसे लगाए ।

HindenBurg की रिपोर्ट के बाद पूरा विपक्ष विरोध में उतरा था 

राहुल गांधी येनकेन प्रकारेण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने की कोशिश करते रहे हैं। इसी क्रम में पिछले कुछ वर्षों से वह अडानी व अंबानी के साथ रिश्तों को लेकर प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश करते रहे हैं। पिछले साल अमेरिकी संस्था HindenBurg की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयऱों कई कीमत गलत तऱीके से बढाने का आरोप लगाया था। इसको लेकर राहुल गांधी व कांग्रेस पूरे विपक्ष को लेकर प्रधानमंत्री पर काफी आक्रामक रहे। यहां तक कि कांग्रेस ने अडानी व अंबानी के नाम पर संसद तक ठप कर दी थी। इन तमाम कवायदों के बावजूद राहुल गांधी जनता को समझाने में विफल रहे।

Impact of Rahul Gandhi : Ambani व Adani नेटवर्थ में तेजी से हुआ इजाफा

गौतम अडानी व मुकेश अंबानी के नेटवर्थ में पिछले एक साल मे तेजी से इजाफा हुआ है. इस समय गौतम अडानी दुनिया के 12 वें सबसे अमीर व्यक्ति बन चुके हैं जबकि मुकेश अंबानी 11वें स्थान पर हैं। पिछले साल जनवरी में गौतम अडानी दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति थे। इस बीच आई HindenBurg की रिपोर्ट ने गौतम अडानी के नेटवर्थ में काफी गहरा गड्ढा किया। इस भूचाल ने भारतीय शेयर बाजार को भी बुरी तरह प्रभावित किया था. इसमें मुकेश अंबानी के शेयरों मे भी तेज गिरावट दर्ज की गई थी। यह जनता के भरोसे का ही कमाल था कि साल भर में दोनो औद्योगिक घरानों ने अपनी स्थिति में जबर्दस्त ढंग से मजबूत किया.

लोकसभा चुनाव में भी अडानी व अंबानी को बनाया मुद्दा

राहुल गांधी व इंडी गठबंधन के अन्य नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री मोदी व अडानी – अंबानी के संबंधों को मुद्दा बनाया. राहुल गांधी ने यहां तक कहा कि जनता बिजली का स्वीच दबाती है तो खटाक से अडानी की जेब में पैसा पहुंच जाता है. राहुल गांधी के यह तथा ऐसे अनेक बयान जनता के बीच मजाक का विषय भी बने रहे। जनता ने राहुल गांधी पर भरोसा करने की जगह अडानी व अंबानी की कंपनियों में पैसा बढ़चढ़ कर लगाया। इसका परिणाम सबके सामने है.

Impact of Rahul Gandhi : अडानी  की संपत्तियों में आया 4.56 अरब डालर का तेज उछाल

लोकसभा चुनाव के बीच भारतीय शेयर बाजार ने मई के तीसरे सप्ताह में रिकार्ड ऊंचाई को छुआ। इस दौरान भारत और एशिया के दूसरे बड़े रईस गौतम अडानी (Gautam Adani) की सभी लिस्टेड कंपनियों में भी तेजी रही। अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में आठ फीसदी तक तेजी देखने को मिली। इससे अडानी की नेटवर्थ में 4.56 अरब डॉलर की तेजी आई। इस बीच अंबानी की नेटवर्थ में 2.07 अरब डॉलर की तेजी आई इस तरह अंबानी और अडानी की नेटवर्थ में अब केवल पांच अरब डॉलर का अंतर रह गया है।

भर गया हिंडनबर्ग का दिया जख्म

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडाणी समूह को भयंकर नुकसान पहुंचाया था. उस समय का आलम ये था कि समूह की ज्‍यादातर कंपनियों में लगातार लोअर सर्किट लग रहा था. सालभर के भीतर ही अडाणी समूह ने न सिर्फ उस जख्‍म को भर दिया, बल्कि घाटे को पाटकर आगे निकल गए. सालभर के भीतर उनकी कंपनियों ने 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई कर ली.

HindenBurg की रिपोर्ट से कितना हुआ था नुकसान

अमेरिका स्थित रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में एक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि अडाणी समूह अपने शेयरों की कीमतों को गलत तरीके से बढ़ा रहा है और कॉरपोरेट नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है. इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को 30 अरब डॉलर (करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था.

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राहुल गांधी व विपक्ष की विश्वसनीयता हुई तारतार

राहुल गांधी के साथ पूरा विपक्ष पिछले डेढ़ साल से अडानी, अंबानी को लेकर अपनी पूरी ताकत से प्रधानमंत्री के विरोध में जुटा रहा। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण तक अडानी – अंबानी का मुद्दा राहुल गांधी के भाषण का प्रमुख अंग रहा। इसके बावजूद जनता ने उनकी बात का  विश्वास नहीं किया। अब राहुल गांधी की अन्य बातों पर जनता ने कितना विश्वास किया है, चार जून को पता चल जाएगा।

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