why bjp lost majority in election 2024 : 8500 के लालच में इंडी गठबंधन को दिया वोट

400 पार का नारा देने के बाद why bjp lost majority in election 2024, बना बडा सवाल
why bjp lost majority in election 2024 : भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में बहुमत क्यों गवां बैठी, सभी अपने अपने राजनीतिक चश्मे के आधार पर इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब एक सुर से कह रहे कि भाजपा जातिगत समीकरण साधने में नाकाम रही। इस वजह से हार गई। अगर उत्तर प्रदेश के लिए यह बात मान भी ली जाए तो महाराष्ट्र में भाजपा की करारी हार क्यों हुई। यहां तो जातीय समीकरण का मामला नहीं दिखता। तो फिर, कारण क्या है? एक ऐसा कारण जो उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक सटीक बैठे। why bjp lost majority in election 2024 का सीधा सरल जवाब है ‘Greed’ यानी लालच. भाजपा को खटाखट, टकाटक 8500 खाते में जाने की कांग्रेस की घोषणा ने हराया। इए तथ्यों की पड़ताल करते हैं।  आइए तथ्यों की पड़ताल करते हैं।

why bjp lost majority in election 2024 : क्या जातिगत समीकरण बना आधार

आज सारे न्यूज चैनल, अखबार व चुनाव विश्लेषक बार बार यही कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के माध्यम से बेहतरीन जातिगत समीकरण गढ़ा और उसे जमीन पर उतार कर जीत दर्ज कर ली. इसी समीकरण के दम पर समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटे मिल गईं। चलिए विश्लेषकों की यह बात सही मान लेते हैं तो क्या महाराष्ट्र में भाजपा की बड़ी हार का मसला हल हो जाएगा? महाराष्ट्र में तो कोई पीडीए नहीं था।

नई नहीं है पीडीए की संकल्पना

दूसरी बात, पीडीए की संकल्पना नई तो है नहीं। समाजवादी पार्टी ने जब बसपा से गठबंधन किया था, तब भी तो यही पीडीए समीकरण साधने की कोशिश की गई थी। सपा-बसपा के गठबंधन से मुस्लिम और दलित वोट का बंटवारा रोक कर पिछड़ों के साथ मिल कर एक चुनाव जिताऊ समीकरण बनाने की कोशिश की गई थी। अगर मसला पीडीए का ही रहता तो शिवपाल यादव के शब्दों में आज सपा गठबंधन जितनी सीटें जीती है, उस आधार पर विधानसभा में सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाती। (43 संसदीय सीटों में शामिल विधानसभा सीटों की गणना के आधार पर)  पर तब तो ऐसा नहीं हुआ। 2019 में बुआ-भतीजा फ्लाप रहे।

why bjp lost majority in election 2024 : महाराष्ट्र में क्यों हारी भाजपा

उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन महाराष्ट्र में रहा। महाराष्ट्र में भाजपा ने पिछली बार 23 सीटें जीती थीं। इस बार सिर्फ नौ सीटें ही जीत पाई। सफलता के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो महाराष्ट्र का परिणाम तो उत्तर प्रदेश से भी खराब है। महाराष्ट्र में भाजपा क्यों हारी। वहां न तो समाजवादी पार्टी है और न ही पीडीए का समीकरण। महाराष्ट्र में जातियों से ज्यादा क्षेत्रों का राजनीतिक दलों के बीच अघोषित बंटवारा है। जैसे शहरी क्षेत्रों में भाजपा, मराठवाड़ा में शिवसेना, विदर्भ में पवार का वर्चस्व आदि। इस लिहाज से देखें तो महाराष्ट्र  में भाजपा की हार जातीयता के घिसेपिटे फार्मुले से समझाई नहीं जा सकती।

why bjp lost majority in election 2024 : खटाखट, टकाटक की वजह से हारी भाजपा

उत्तर प्रदेश हो या महाराष्ट्र, कर्नाटक हो या पंजाब-हरियाणा, इन राज्यों में कांग्रेस व इसके गठबंधन में रही समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल आदि की जीत के पीछे सिर्फ एक वजह रही है, वह है हर महीने 8500 रुपये खाते में देने की कांग्रेस की खटाखट, टकाटक योजना। कांग्रेस ने गरीब महिलाओं के खाते में हर महीने 8500 रुपये व साल का एक लाख रुपये देने की गारंटी दी थी। कांग्रेस की इस गारन्टी ने काफी धूम मचाई। मजे की बात यह है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व इंडी गठबंधन ने कोई साझा घोषणापत्र नहीं जारी किया था। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी, राजद व इंडी गठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेतागण भी कांग्रेस की इस गारन्टी को लगातार जनता के बीच दोहराते रहे। खाते में खटाखट हर माह 8500 रुपये मिलने की गारन्टी ने जनता को जातपात धर्म आदि के सारे भेद से दर कर दिया और जनता कांग्रेस गठबंधन के पीछे लामबंद हो गई।

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पिछड़े इलाकों में इंडी को मिली ज्यादा सीटें

 

हर माह 8500 रुपये देने का कांग्रेस का वादा पिछड़े इलाकोॆ में ज्यादा अपील कर गया। कांग्रेस व सपा उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बहुल सीटों के बाद पूर्वाचल में ही सबसे ज्यादा सीटें जीती है। उत्तर प्रदेश का पूर्वाचल आज भी देश के सबसे पिछड़े इलाकों में शामिल है। न उद्योग न व्यापार न रोजगार, ऐसे में मुफ्त में हर माह 8500रुपये मिलने की बात ने जनता पर जबर्दस्त असर किया। हालात यह रहे कि पूर्वांचल की 26 में से इस बार भाजपा महज दस सीटें ही जीत पाई। पिछले साल भाजपा को 18 सीटें मिलीं थी। अयोध्या काशी प्रांत की  21 में से 14 सीटें ही भाजपा जीत सकी।
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मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि में नहीं चला जादू

टकाटक, खटाखट या एक लाख रुपये सालाना देने की कांग्रेस की घोषणा का असर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश आदि में नहीं पड़ा। मध्य प्रदेश में महिलाओं को लाडली बहना योजना के तहत पहले से ही एक निश्चित धनराशि मिल रही है।इसलिए ज्यादा पैसों के चक्कर में उन्होने दल नहीं बदला। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ व राजस्थान से कुछ महीने पहले ही कांग्रेस की विदाई हुई थी। कांग्रेस के वादे व दावों की असलियत दोनो ही राज्यों की जनता भली भांति जानती थी। हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना व कर्नाटक में कांग्रेस अभी विधानसभा चुनाव में किए अपने वादे पूरे नहीं कर पाई है। इसलिए जनता ने कांग्रेस के नए वादे पर भरोसा नहीं किया। इसलिए इन राज्यों में कांग्रेस का कोई खास जादू नहीं चला।
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पंजाब, हरियाणा व महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली अप्रत्याशित सफलता

पंजाब में भी दो वर्ष पूर्व तक कांग्रेस सरकार थी पर उस समय कांग्रेस ने इस तरह की कोई लोकलुभावन घोषणा नहीं की थी। इसलिए वहां की जनता को कांग्रेस के चुनावी वादों की हकीकत का अंदाजा नहीं था। इसलिए पंजाब में कांग्रेस को अच्छा खासा फायदा हुआ। यही हाल महाराष्ट्र का भी रहा। महाराष्ट्र में कुछ समय पूर्व तक कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी पर तब कोई ऐसा लोक लुभावन वादा नहीं था। इसलिए महाराष्ट्र की जनता ने भी कांग्रेस का खुलकर साथ दिया। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने दशकों बाद इतनी सीट जीती है। पंजाब, हरियाणा व महाराष्ट्र में कांग्रेस व उसके सहयोगियों को अप्रत्याशित सफलता लोकसभा चुनाव 2024 में मिली।

why bjp lost majority in election 2024 : जाति नहीं मुफ्त के पैसों के लालच ने भाजपा को हराया

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश हो, महाराष्ट्र हो, पंजाब हो या हरियाणा, कांग्रेस के टकाटक, खटाखट हर महीने 8500 रुपये सीधे खाते में देने की घोषणा का जोरदार असर पड़ा। इन राज्यों में भाजपा की करारी हार के पीछे कोई जातीय समीकरण काम नहीं आया वरन जनता में मुफ्त में मिलने वाले पैसों के लालच ने ही भाजपा को हराया और कांग्रेस व उसके सहयोगियों को फायदा पहुंचाया। अखिलेश यादव का पीडीए तो चुनाव के पहले ही घोषित हो गया था। इसके बावजूद पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा पाया। बाद में अखिलेश यादव भी मंच से खटाखट, टकाटक एक लाख रुपये देने की बात कहने लगे। इसका व्यापक असर  बाद के चरणों में दिखा।
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