mahakumbh 2025 : माघ में तीरथपति पहुंचे देश दुनिया के लोग
डेढ़ करोड़ से अधिक ने लगाई गंगा में डुबकी, पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुंभ शुरू
गोस्वामी तुलसी दास लिख गए हैं कि माघ मकरगति रवि जब होई तीरथपतिहिं आव सब कोई। राम चरित मानस में लिखीं यह पंक्तियां सोमवार को पूरी तरह चरितार्थ होती दिखीं। महाकुंभ 2025 में मां गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य प्राप्त करने के उद्देश्य से महाकुंभ नगर में भारी भीड़ उमड़ी। बच्चे, जवान, बुजुर्ग महिलाएं हों या पुरुष संगम की ओर जाने वाले मार्गों पर हर उम्र और हर परिवेश के लोग नजर आ रहे थे। बड़ी संख्या में विदेशी भी पुण्य का भागीदार बनने पहुंचे।
पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुंभ 2025 का हुआ भव्य आगाज
पौष पूर्णिमा स्नान के साथ ही सोमवार 13 जनवरी को महाकुंभ 2025 का मेला शुरू हो गया। पौष पूर्णिमा स्नान केे लिए भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं का तांता लगा तो देर रात तक खत्म होने का नाम ही नहीं लिया। मेला प्रशासन के अनुसार सोमवार शाम तक डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा चुके थे।

सूटकेस, ट्राली बैग, पिठ्ठू लादे घाटो की ओर भागते नजर आए श्रद्धालु
कुछ वर्ष पहले तक मेले में आने वालो में गठरी, बोरी, झोला, झडी लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा थी. माना यह जाता था कि ग्रामीण भारत से श्रद्धालु ज्यादा संख्या में आ रहे थे। इस बार नजारा पूरी तरह से बदला हुआ था। बोरी गठरी की जगह अब पिठ्ठू बैग, ट्राली बैग आदि ने ले ली है. भीड़ में अब युवाओ की संख्या ज्यादा हो गई है। भीड़ का रेला रविवार से ही मेला क्षेत्र में पहुंचना शुरू हो गया था। ![पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुआ महाकुंभ]()

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भोर में ही फुल हो गया था संगम नोज का इलाका
महाकुंभ 2025 में भारी भीड़ उमड़ने का अनुमान तो पहले से ही था। इसी के मद्देनजर तमाम तैयारियां की गईं थी। मेला प्रशासन का आंकलन सुबह ही सही निकला। संगम नोज पर सुबह ही इतनी ज्यादा भीड़ पहुंच गई थी कि प्रशासन को संगम नोज का रास्ता बंद करना पड़ा. गीता मंदिर अलोपीबाग से परेड होकर संगम जाने वाला रास्ता तो पहले ही बंद कर दिया गया था। 12 बजते बजते बालसन से ही श्रद्धालुओं को अल्लापुर की ओर डायवर्ट किया जाने लगा।

झूंसी, प्रयाग व फाफामऊ से आने वाले श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए संगम
मेला प्रशासन ने वैसे तो पहले ही ऐलान कर दिया था कि श्रद्धालु जिस तरफ से आएंगे उसी तरफ के घाट पर स्नान करेंगे। इसके बावजूद सोमवार सुबह तक संगम जाने के लिए मार्ग खुले रहे. संगम नोज पर भीड़ बढ़ने के साथ ही श्रद्धालुओं को डायवर्ट किया जाने लगा। हालात यह रहे कि सिविल लाइंस से आने वाले श्रद्धालुओं को बालसन से ही अल्लापुर की ओर मोड़ दिया गया। फाफामऊ से आने वाले श्रद्धालुओं को फाफामऊ में स्नान करने की सुविधा तो थी पर संगम जाने के लिए जो लोग निकले उन्हें सेक्टर छह के घाटो पर स्नान के लिए भेज दिया गया। इसी तरह झूंसी व अरैल के श्रद्धालुओं को भी संगम तक जाने से बार बार रोका गया। इतनी रोक के बावजूद संगम पर श्रद्धालुओं का रेला लगा रहा।
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कल्पवासियों ने भी सजाए शिविर, एक माह का कल्पवास हुआ शुरू

माघ माह में मां गंगा व यमुना के तट पर कल्पवास करना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसके चलते हर वर्ष लाखों लोग कल्पवास करते हैं। इस बार महाकुंभ होने के चलते कल्पवास का महत्व और भी बढ़ गया है। कल्पवास के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु जो किसी कारण वश रविवार तक मेला क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए थे, उन्हे सोमवार को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। इसी आफत से बचने के लिए श्रद्धालु रविवार को भारी कोहरे के बावजूद मेला क्षेत्र में पहुंचते दिखे थे।
आज होगा पहला अमृत (शाही) स्नान
Mahakumbh 2025 में एक अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार पौष पूर्णिमा के दूसरे ही दिन मकर संक्राति पड़ रही है। इसी दिन महाकुंभ मेला 2025 का पहला अमृत (शाही) स्नान होगा। इसके लिए तमाम अखाड़ों में देर रात तक तैयारियां चलती रहीं। रथाें, हाथी घोड़ों को सजाया जाता रहा। अमृत स्नान के लिए संगम तट पर विशेष व्यवस्था की गई है। मेला प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार अखाड़ों को संगम तट तक लाने ले जाने के ले पांटून पुल आरक्षित कर दिए गए हैंं। आम श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ते व घाट बनाए गए हैं।