महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) कई मिथक तोड़ने के साथ ही नए नए कीर्तिमान गढ़ता जा रहा है। महाकुंभ 2025 में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। महाकुंभ 2025 साठ करोड़ी हो गया। प्रयागराज में स्नान करने वालों की संख्या साठ करोड़ को पार कर गई। इसके साथ ही तीर्थराज प्रयाग ने भौकाली बाबाओं को आइना भी दिखा दिया। बता दिया कि संत, महंत, अखाड़े, बाबा भले तीर्थराज के आंगन से अपना बोरिया बिस्तर समेट कर गोल हो गए हों, पर इससे तीर्थराज के महत्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यह तीर्थराज प्रयाग का ही जलवा है कि माघी पूर्णिमा के बाद के दस दिनों में 18 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई है।
Mahakumbh 2025 : संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं का रेला जारी
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आयोजन प्रशासनिक दृष्टि से भी अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर चल पड़ा है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही इसका प्रशासनिक दृष्टि से भी समापन हो जाएगा। इस बीच त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला आने का सिलसिला लगातार जारी है। संगम की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग काली सड़क पूरी तरह श्रद्धालुओं से पटी हुई है। वैसे बख्शी बांध, सलोरी आदि की ओर से आने वाले मार्गों पर श्रद्धालुओं का दबाव कुछ कम होते नजर आया। शुक्रवार शाम तक करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी में डुबकी लगा चुके थे।
अब न अखाड़े बचे न महंत, फिर भी उमड़ रहे श्रद्धालु
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) शुरू होते ही व्यवस्था में लगा मेला प्रशासन व उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह अखाड़ों व महंतों के शरणागत नजर आई। मेले में उमड़ने वाली भीड़ की व्यवस्था करने की जगह सभी सिर्फ अखाड़ों व महंतों की सेवा में ही लगे रहे। नतीजा यह रह कि मौनी अमावस्या से पूर्व तक आम श्रद्धालु पूरी तरह उपेक्षित रहे। सैकड़ों किमी दूर से त्रिवेणी में सिर्फ एक डुबकी लगाने की लालसा लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को न सिर्फ मीलों पैदल चलाया गया वरन तमाम तरह की बाधाएं खड़ी कर उन्हें संगम से दूर रखने की भी कोशिश की गई। यह अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा रहा कि मौनी अमावस्या की रात को मेला क्षेत्र में जगह जगह हुई भगदड़ में 50 से अधिक स्नानार्थियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। बसंत पंचमी से अखाड़े व महंतों ने मेला क्षेत्र छोड़ना शुरू कर दिया और माघ पूर्णिमा तक अधिकांश महंत मेला क्षेत्र से जा चुके थे। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का त्रिवेणी में स्नान करने के लिए आना लगातार जारी रहा। भारी संख्या में उमड़ रहे श्रद्धालुओं ने मेला प्रशासन, शासन व अखाड़ों को आइना दिखाते हुए बता दिया कि वह किसी बाबा, अखाड़ा से मिलने नहीं आ रहे वरन तीर्थराज प्रयाग के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर जीवन सफल बनाने के लिए आ रहे हैं।
भक्ति, कर्म व ज्ञान की धारा बनाती है प्रयागराज को तीर्थों का राजा
चित्रकूट की महंत साध्वी मीरा कहती हैं कि भक्ति, कर्म व ज्ञान का समन्वय प्रयागराज को तीर्थों का राजा बनाते हैं। भगवान राम जब वन के लिए निकले तो उन्होने और किसी से न तो रास्ता पूछा और न ही आगे का लक्ष्य। तीर्थराज प्रयाग पहुंच कर भरद्वाज मुनि से आगे किधर जाएं इसका मार्गदर्शन लिया। इस पर जब किसी ने भगवान से पूछा कि आप अयोध्या से इतनी दूर चले आए। रास्ते में बहुत से विद्वान थे। किसी से कुछ नहीं पूछा। प्रयाग पहुंच कर क्यों आपने लक्ष्य व मार्ग पूछा। इस पर भगवान ने कहा कि प्रयाग में भक्ति रूपी गंगा प्रवाहित हो रही हैं। साथ ही कर्म रूपी यमुना भी यहां विराजमान हैं। इन दोनो के साथ ज्ञान रूपी सरस्वती भी उपस्थित हैं. तो जहां भक्ति, ज्ञान व कर्म तीनो ही उपस्थित हैं, ऐसे तीर्थों के राजा प्रयाग में ही सही मार्गदर्शन मिल सकता है न। इसलिए हमने यही पर मार्गदर्शन मांगा। महंत साध्वी मीरा के अनुसार तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी के स्नान मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
Mahakumbh 2025 के अंतिम वीकेंड में उमड़े श्रद्धालु
महाकुंभ 2025 में शनिवार रविवार को पड़ने वाले अवकाश के चलते इन दोनों दिनों में माघ मास के किसी पर्व की तरह भीड़ उमड़ी। महाशिवरात्रि से पहले पड़ने वाला अंतिम साप्ताहिक अवकाश भी इससे अलग नहीं रहा। शनिवार को भीड़ ने अपना पिछला रिकार्ड तोड़ दिया। भीड़ ने महाकुंभ 2025 को साठ करोड़ी बना दिया। श्रद्धालुओं का एक मात्र लक्ष्य त्रिवेणी में डुबकी लगा कर प्रयागराज के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने, अक्षय वट व हनुमान जी का दर्शन करने भर का रहा। श्रद्धालु अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए लंबी दूरी पैदल चल कर त्रिवेणी तट पर उमड़े पड़े हैं।