लंबी प्रतीक्षा के बाद अंततः वह ऐतिहासिक घड़ी आ ही गई जब महाकुंभ 2025 का मेला शुरू होने जा रहा है। पौष पूर्णिमा स्नान के साथ ही सोमवार 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेला 2025 का आगाज हो जाएगा। माघ माह की अवधि में गंगा व यमुना के तट पर कल्पवासी व संत धूनी रमाएंगे। गंगा स्नान, ध्यान, दान व कथा प्रवचन का पान करेंगे।सनातन धर्म के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण समागम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में देशी विदेशी श्रद्धालु, संत व कल्पवासी मेला क्षेत्र पहुंच चुके हैं।
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दो दिन से लगा है कल्पवासियों का रेला
महाकुंभ मेला 2025 में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं व कल्पवासियों का मेला क्षेत्र में रेला लगा हुआ है। दस जनवरी से मौसम का हाल बिगड़ गया था। पहले दो दिन काफी कोहरा पड़ा जबकि रविवार को दिन भर बूंदाबांदी होती रही। शीतलहरी के इस दौर में भी श्रद्धालुओं का जोश कम नहीं हुआ। मेला क्षेत्र की ओर जाने वाली सभी सड़कें दिन भर जाम रहीं। ट्रक, टैम्पो, ई-रिक्शा, छोटा हाथी जैसे छोटे बड़े तमाम वाहनों में तख्त, कुर्सी, पुआल, गैस, खाने का सामान आदि बांध कर कल्पवासी मेला क्षेत्र में पहुंचते रहे।
दोपहर से देर रात तक जाम रहीं सड़के
मेला क्षेत्र की ओर जाने वाली अधिकांश सड़कें दोपहर से देर रात तक जाम रहीं। मेले में जाने वाले वाहनों का तांता लगा रहा। कल्पवासी अपने अपने डेरे तक पहुंचने के लिए परेशान रहे। वैसेे डिजिटल एप के साथ साथ चौराहों व नाकों पर खड़ी पुलिस रास्ता बताने में मददगार साबित हुई।
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आज होगा पहला अमृत (शाही) स्नान
महाकुंभ मेला 2025 का पहला अमृत (शाही) स्नान सोमवार को होगा। इसके लिए तमाम अखाड़ों में देर रात तक तैयारियां चलती रहीं। रथाें, हाथी घोड़ों को सजाया जाता रहा। अमृत स्नान के लिए संगम तट पर विशेष व्यवस्था की गई है। मेला प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार अखाड़ों को संगम तट तक लाने ले जाने के ले पांटून पुल आरक्षित कर दिए गए हैंं। आम श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ते व घाट बनाए गए हैं।
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लगातार दो दिन होगा अमृत स्नान, दो करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान
Mahakumbh 2025 में एक अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार पौष पूर्णिमा के दूसरे ही दिन मकर संक्राति पड़ रही है। लगातार दो दिन अमृत स्नान पर्व पड़ने के कारण महाकुंभ मेला की शुरुआत में ही स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। स्नानार्थी मेला प्रशासन द्वारा बनाए गए रात्रि विश्राम स्थलों के साथ ही संतों व संस्थाओं में उपलब्ध शिविरों में शरण ले रहे हैं। मेला प्रशासन के अनुमान के अनुसार मेले में तीस लाख से अधिक कल्पवासी पहुंच चुके हैं। पौष पूर्णिमा व मकर संक्राति के लिए दो करोड़ स्नानार्थियों के पहुंचने का अनुमान है।