अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय। महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) की तैयारियों को देख कर यही कहा जा सकता है। प्रयागराज की चमचमाती सड़कें, फ्लाईओवर, अंडर पास, पार्क, सजी संवरी दीवारें, चमचमाते स्टेशन, यह सब देख कर किसी की भी आंख चौंधिया जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ 2025 हर मामले में अद्वितीय है। वैसे गंगा किनारे बसे महाकुंभ नगर पहुंचते ही तस्वीर बदल जाती है। तमाम कोशिशों व कवायदों के बावजूद महाकुंभ मेला 2025 आधी अधूरी तैयारियों के बीच शुरू होने को तैयार है।
कल्पवासियों पर भी निगाह कीजिए महाराज
इसमें कोई दो राय नहीं कि डबल इंजन की सरकार ने प्रयागराज नगर का कायाकल्प करने, नगर की देश दुनिया से कनेक्टिविटी बढ़ाने आदि के बेतहाशा कार्य किए हैं। खजाने का मुंह खोल दिया और जिसने जो मांगा वह दिया। महाकुंभ में आ रहे संतों महंतों ने भी जो जो सुविधाएं मांगी, बिना किसी झिकझिक के उन्हें दिया गया। इन सारी कवायद के लिए पूरा साधुवाद। लेकिन महाराज, महाकुंभ नगर की आम जनता यानि कल्पवासी आपकी दया दृष्टि से वंचित रह गए हैं। थोड़ा इनकी ओर भी निगाह कर लीजिए।
न पानी पहुंचा न शौचालय, आवंटित सुविधाएं भी नहीं पहुंच पा रही
महाकुंभ नगर में हालात यह है कि पौष पूर्णिमा से तीन दिन पूर्व भी अधिकांश क्षेत्रों में पानी की पाइप लाइन तक नहीं पहुंची, सड़के व घाट तक नहीं बने। जो सुविधाएं आवंटित हैं, वह भी मिल नहीं पा रही। कहीं सामान पहुंचाने वाले नदारद तो कहीं सामान लगाने वाले। योगीराज में भी आधी अधूरी तैयारियों के बीच श्रद्धालु कल्पवास शुरू करने को विवश हैं।
Mahakumbh 2025 : पौष पूर्णिमा से तीन दिन पूर्व कुछ ऐसा दिखा नजारा
महाकुंभ हो या माघ मेला, पौष पूर्णिमा से कल्पवास शुरू होता है। आम तौर पर कल्पवासी पौष पूर्णिमा से दो दिन पहले ही आ जाते हैं। इस बार पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ रही है। इसके चलते बड़ी संख्या में कल्पवासी मेला क्षेत्र में पहुंच गए हैं। पौष पूर्णिमा के तीन दिन पूर्व मेला क्षेत्र के सेक्टर 17 में गंगा किनारे पाइप बिछाने और घाट तैयार करने का कार्य जारी था। महामंडलेश्वर नगर में जूना अखाड़ा के संत निवास शिविर में बालू डाल कर शिविर तैयार करने का कार्य चल रहा था। साथ में बिजली कनेक्शन दिए जा रहे थे। सेक्टर 18 में हर्षवर्धन मार्ग पर ओल्ड जीटी रोड से हरिश्चन्द्र मार्ग तक सड़क किनारे पाइप रखी गई है। इसे बिछाने के लिए मजदूरों का इंतजार है।
सेक्टर 11, 12 व 13 के सबसे खराब हालात
महाकुंभ मेला क्षेत्र के उत्तरी सीमा पर बसे सेक्टर 11, 12 व 13 के हालात सबसे खराब हैं। इन हेतापट्टी कुटी मार्ग पर संगम लोअर चौराहे से लेकर तुलसी मार्ग चौराहे के आगे गंगा किनारे तक चले जाइए, चकर्ड प्लेट तक ढंग से नहीं लगी है। हर्षवर्धन मार्ग मेला क्षेत्र का मुख्य मार्ग होने के बावजूद इस पर चकर्ड प्लेट उखड़ी हुई हैं। अंदर के मार्गों की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। शिविरों में पीने का पानी पहुंच गया है तो शौचालय नहीं पहुंचा। कहीं टेंट नहीं पहुंचा तो कहीं अन्य सुविधाएं। बहुतेरे श्रद्धालु कल्पवासी संत महंत किराए पर टेंट लेकर रहने को विवश हैं।
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Mahakumbh 2025 : पहले स्नान पर्व को लेकर तैयार हो रहे घाट
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का पहला स्नान पर्व 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर पड़ रहा है। इसे लेकर गंगा किनारे घाटों को तैयार करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। सेक्टर 17, 18 व 19 में घाट निर्माण का कार्य गुरुवार को तेजी से होते दिखा। सेक्टर 11, 12 में घाटों को लेकर कोई कार्य नहीं होते दिखा। कुल मिलाकर सेक्टर 11, 12 व 13 में रहने वालों को नाग वासुकी रोड या उससे और दक्षिण की ओर बढ़ कर स्नान करना होगा। यही स्थिति सेक्टर छह से दस वालों की भी है। घाट तैयार करने का कार्य यहां भी सुस्त दिखा।
महाकुंभ नगर में अखाड़ों के आगे भी जहां है
साढ़े सात हजार करोड़ से अधिक के बजट वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां लंबे समय से की जा रही थी। कई परियोजनाएं तो तीन वर्ष या उससे अधिक समय से संचालित थीं। मेला क्षेत्र में बाढ़ का पानी निकलने के बाद कार्य शुरू हो पाया। मेला क्षेत्र में सबसे पहले अखाड़ों का प्रवेश होता है। इसे देखते हुए तमाम दबावों के बीच अधिकारियों ने सारी ताकत महामंडलेश्वर नगर को बसाने में लगा दी। अन्य क्षेत्र इन तैयारियों से वंचित रह गए। महाकुंभ नगर में अखाड़े अगर वीआइपी हैं तो लाखों की संख्या में माह भर कल्पवास करने वाले श्रद्धालु इस नगर की आम जनता हैं। कल्पवासी आम तौर पर पंडों के यहां या संस्थाओं मे रहते हैं। इन क्षेत्रों में अधिकांश कार्य अधूरे पड़े हैं।
Mahakumbh 2025 में भी निभाया जाएगा अधूरी तैयारियों के साथ मेले का आयोजन का रिवाज
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प्रयागराज में महाकुंभ व माघ मेले के आयोजन का एक अशोभनीय रिवाज रहा है। अधिकारी यहां कभी भी मेले की शुरुआत तक कार्य पूरा नहीं कराते रहे हैं। आम तौर पर मेला क्षेत्र में सर्वाधिक भीड़ मौनी अमावस्या से बसंत पंचमी तक होती रही है। अधिकारीगण भी अपनी तैयारियां मौनी अमावस्या तक पूरी करने की कवायद करते रहे हैं। यह रिवाज महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) मेें भी बदस्तूर निभाया जा रहा है। वैसे इस रिवाज के चलते मेले के आयोजन में पैसों की बंदरबाट व घोटालों में आसानी हो जाती रही है। इस बार क्या होगा, समय बताएगा।
योगी जी की शर्म कर रहे संत, शिकायत तो है पर करने को तैयार नहीं
महाकुंभ मेला योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हो रहा है जो कि खुद एक संत हैं। इस के चलते अधिकांश संत असुविधा व समस्या होने के बावजूद शिकायत करने या धरना प्रदर्शन करने से बच रहे हैं। जूना अखाड़े में एक साथ बैठे साधुओं से जब अधूरी तैयारी के बारे में पूछा गया तो एक तो संतो ने शिकायत करने की कोशिश भी की पर साथ बैठे अन्य संतों ने उन्हें रोक दिया। यही स्थिति सभी क्षेत्र में दिखी। योगी आदित्यनाथ के संत परंपरा से आने का संतों द्वारा लिहाज करने का अधिकारीगण गजब लाभ उठा रहे। सात से आठ किमी दूर बैठे संतों को बार बार मेला प्रशासन कार्यालय और ठेकेदारों तक दौड़ा रहे।