Samvat 2024 : संवत्सरों के नाम, क्या है वर्तमान संवत्सर का नाम
भारत में प्राचीन काल से ही जब ग्रहों की संख्या, दूरी, तारों की दूरी, सूर्य की गति व दूरी आदि गूढ़ जानकारियां उपलब्ध रही हैं। यहां तक कि सौर कुंडली व चन्द्र कुंडली प्रचलित रही हैं जिसमें सूर्य आदि ग्रहों की गणना को ही आधार बनाया जाता है। इसके बावजूद भारत ने चन्द्र वर्ष को प्रमुखता दी। इसकी मुख्य वजह प्रकृति के साथ भारत के आदिकाल से जुड़ाव का होना रहा है।