Eid al-Adha : बकरीद के दिन बकरा काटने के खिलाफ शुरू हुआ WAR

सोशल मीडिया पर Eid al-Adha में बकरा काटने के खिलाफ कबीर पंथियों ने चलाई मुहिम

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अभी तक होली दिवाली जैसे हिन्दू त्योहारों पर ही पानी खराब न करने, पटाखे न जलाने, दीपक न जलाने जैसे पोस्ट ही पढ़ने को मिलती थी। ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि सोशल मीडिया पर Eid al-Adha पर बकरा काटने के खिलाफ पोस्ट की बाढ़ आई हुई है। Stop Killing Animals की टैग लाइन के साथ सोशल मीडिया पर जबर्दस्त मुहिम छेड़ दी गई है। एक्स (Twitter) पर यह टैग लाइन दिन भर Trend करती रही।
Eid al-Adha

Eid al-Adha पर बकरा काटने के खिलाफ कबीरपंथियों ने खोला मोर्चा

Eid al-Adha पर बकरा काटने के खिलाफ कबीरपंथियों ने मोर्चा खोल रखा है। कबीर पंथ से जुड़े हरियाणा व पंजाब के संत इसमें सबसे आगे हैं। संत रामपाल तो बकायदा मुसलमानों को ही कुरान फिर से पढ़ने व समझने की चुनौती दे रहे हैं। संत रामपाल ने कुरान पर एक पुस्तक भी लिखी है, जिस वह मुफ्त में वितरित कर रहे हैं। कई अन्य कबीरपंथी संत भी इस मुहिम में जुड़े हैं। शाम होते होते PETA (People for the Ethical Treatment of Animals) भी इस मुहिम में जुड़ गया।

Eid al-Adhaसोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर किया बकरा काटने का विरोध

Eid al-Adha इस बार 17 जून 2024 को है। इससे एक दिन पूर्व 16 जून 2024 को Twitter और Google पर Eid al-Adha Top Trend में बना रहा।  सोशल मीडिया यूजर्स कबीर के दोहे लिख लिख कर बकरा काटने व मांसाहार का विरोध कर रहे थे। बकरीद के दिन मुसलमान बकरे को कलमा पढ़कर अल्लाह के नाम पर काटते हैं और कहते हैं कि इससे बकरे की रूह जन्नत में चली जाती है।  सोशल मीडिया यूजर्स का कहना था कि अगर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति होती, तो सबसे पहले मांसाहारी जानवरों को होती, जो केवल मांस ही खाते हैं। कबीर पंथी कह रहे कि मांस खाकर आप परमात्मा के बनाए विधान को तोड़कर परमात्मा के दोषी बन रहे हो। ऐसा करने वाले को नर्क में डाला जाता है।
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Eid al-Adha के विरोध में खूब चले कबीर के दोहे

रहम कीजिए उन बेजुबानों पर जो बोल नहीं सकते। वह भी हम सब की तरह खुदा के बनाए प्यारे जीव हैं। उन्हें मारे नहीं, उन पर रहम कीजिये, उन्हें प्रेम कीजिये। यह और इस तरह की बाते लिख कर Eid al-Adha पर बकरा काटने का विरोध करने वालों ने कबीर के दोहे खूब चलाए।
Eid al-Adhaझोटे बकरे मुरगे ताई। लेखा सब ही लेत गुसाईं।।
मग मोर मारे महमंता। अचरा चर हैं जीव अनंता।।
(यानी किसी भी प्राणी की हत्या करो वह परमात्मा सब का हिसाब लेता है।)
दोनूं दीन दया करौ, मान बचन हमार
गरीबदास गऊ सूर में, एकै बोलन हार।।
(दोनो ही धर्म के लोग हमारा बचन मान कर दया करें। गाय और बकरे में एक ही परमात्मा का वास है।)
कबीर-माँस अहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि।
ताकी संगति मति करै, होइ भक्ति में हानि।।
(कबीर दास जी कहते हैं कि मांसाहार करने वाले को प्रत्यक्ष राक्षस जानना चाहिए। उसकी संगति नहीं करनी चाहिए अन्यथा भक्ति में नुकसान होता है।)
जो गल काटै और का, अपना रहै कटाय।
साईं के दरबार में बदला कहीं न जाय॥
(जो व्यक्ति किसी जीव का गला काटता है उसे आगे चलकर अपना गला कटवाना पड़ेगा। परमात्मा के दरबार में करनी का फल अवश्य मिलता है।)
कबीर, मांस मछलिया खात हैं, सुरापान से हेत।
ते नर नरकै जाहिंगे, माता पिता समेत।
(कबीर जी कहते हैं जो मनुष्य मांस, मछली खाते हैं वह नरक में माता पिता के साथ जाते हैं। मांस खाना महापाप है।)
जीव हनै हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप ते, भिस्त गया ना कोय।
(कबीर जी कहते हैं कि जीव हिंसा करने से पाप ही लगता है। ऐसा महापाप करके भिस्त (स्वर्ग) कोई नहीं गया। तो फिर हे भोले मानव फिर ऐसा महापाप क्यों करते हो।)

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