Mahakumbh2025 ः देश के आधे हिन्दुओं ने दर्ज कराई उपस्थिति, यह है प्रयागराज की महिमा
2525 किमी तक फैली मां गंगा के किसी भी तट पर नहीं जुटते इतने श्रद्धालु
प्रयागराज की महिमा का बखान करते नहीं थकते तुलसीदास
चवँर जमुन अरु गंग तरंगा। देखि होहिं दुख दारिद भंगा॥4॥
भावार्थ:-((गंगा, यमुना और सरस्वती का) संगम ही तीर्थराज प्रयाग का अत्यन्त सुशोभित सिंहासन है। अक्षयवट छत्र है, जो मुनियों के भी मन को मोहित कर लेता है। यमुनाजी और गंगाजी की तरंगें उसके (श्याम और श्वेत) चँवर हैं, जिनको देखकर ही दुःख और दरिद्रता नष्ट हो जाती है॥4॥
सेन सकल तीरथ बर बीरा। कलुष अनीक दलन रनधीरा॥3॥
भावार्थ:-प्रयाग क्षेत्र ही दुर्गम, मजबूत और सुंदर गढ़ (किला) है, जिसको स्वप्न में भी (पाप रूपी) शत्रु नहीं पा सके हैं। संपूर्ण तीर्थ ही उसके श्रेष्ठ वीर सैनिक हैं, जो पाप की सेना को कुचल डालने वाले और बड़े रणधीर हैं॥3॥
सेवहिं सुकृती साधु सुचि पावहिं सब मनकाम।
बंदी बेद पुरान गन कहहिं बिमल गुन ग्राम॥105॥
भावार्थ:-पुण्यात्मा, पवित्र साधु उसकी सेवा करते हैं और सब मनोरथ पाते हैं। वेद और पुराणों के समूह भाट हैं, जो उसके निर्मल गुणगणों का बखान करते हैं॥105॥
को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ॥
अस तीरथपति देखि सुहावा। सुख सागर रघुबर सुखु पावा॥1॥
यानि तीर्थराज प्रयाग सभी प्रकार के पापों को नष्ट कर देता है। पाप नष्ट करने की तीर्थराज प्रयाग की असीमित क्षमता प्रभु श्री राम को भी सुख देती है।
![पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुआ महाकुंभ]()
प्रयागराज धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की सभी कामना करते हैं पूरी
चारि पदारथ भरा भँडारू। पुन्य प्रदेस देस अति चारू॥2॥

त्यागी तपस्वी संत प्रयागराज में करते हैं वैभव का प्रदर्शन
महाकुंभ 2025 ः माघ मास में सभी देवी देवता प्रयागराज में त्रिवेणी तट पर निवास करते हैं। इस तरह तीर्थों के राजा प्रयागराज में हर तरह का वैभव बिखरा पड़ा रहता है। अयोध्या के महंत मानस मंजुल के अनुसार तीर्थराज प्रयाग संतों के माध्यम से अपने वैभव को प्रकट करते हैं। मानस मंजुल के अनुसार गंगा व यमुना की रेती पर संत जो बड़ी बड़ी अट्टालिकाएं, किला व महलनुमा शिविर सजाते हैं, वह सब प्रयागराज की महिमा है।
महाकुम्भ 2025 अध्यात्म, ज्ञान और साधना की त्रिवेणी-ब्रह्मचारी गिरीश जी
वेद विद्या मार्तण्ड ब्रम्हचारी गिरीश जी ने तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुंभ 2025 को भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं में आस्था तथा देवी देवताओं के प्रति भक्ति का सबसे बड़ा उत्सव निरूपित किया है। प्रयाग राज में महाकुंभ का आयोजन भारत की सनातन वैदिक परंपराओं के प्रति असंख्य तीर्थ यात्रियों की सामूहिक आस्था के व्यक्तीकरण का एक पवित्र अवसर है। शास्त्रों के अनुसार महाकुम्भ अपनी बुराइयां छोड़कर एवं अच्छाइयां लेकर जाने का शुभ अवसर है।