लोकसभा चुनाव 2024 अपने चौथे चरण की ओर बढ़ चला है। अब तक हुए चुनाव प्रचार में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद समेत सभी विपक्षी दलों ने एक मुद्दा समवेत स्वर में लगातार उठाया है, वह है बेरोजगारी। वैसे केन्द्र सरकार विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर देश में रोजगार के अवसर जबर्दस्त ढंग से बढ़ने व बेरोजगारी दर तेजी से घटने का दावा करती रही है। इस स्थिति में यह समझने की जरूरत है कि मोदी के राज में क्या रहा रोजगार का हाल- the State of employment during Modi government.फिलहाल आंकड़े व रिपोर्ट्स यह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि देश में रोजगार के अवसरों में रिकॉर्ड तेजी आई है। रोजगार बढ़े हैं और बेरोजगारी घटी है।
क्या रोजगार मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी – Is employment means only Government Jobs?
यहां यह समझने की जरूरत है कि रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी नहीं होती। रोजगार में सरकारी नौकरी, निजी क्षेत्र की नौकरी, स्वरोजगार, व्यापार, व्यवसाय आदि सभी कुछ शामिल हैं।
कुछ युवाओं को यह गलतफहमी रहती है कि रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी होती है। उन्हें ऐसा लगता है कि जब तक सरकारी नौकरी नहीं मिलती तब तक वह बेरोजगार गिने जाएंगे। विपक्ष में शामिल दल उनकी इसी नासमझी का फायदा चुनाव में उठाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी दल इसीलिए लगातार बेरोजगारी का मामला उठा रहे हैं। मजे की बात यह है कि यह विपक्षी दलों ने अपने घोषणा पत्र में कहीं भी सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने का वादा नहीं किया है।
रोजगार पर क्या कहते हैं कांग्रेस, सपा के घोषणापत्र
कांग्रेस ने सत्ता में आने पर तीस लाख पदों पर सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि अगर वह सत्ता में आए तो अगस्त 2024 तक तीस लाख पदों पर भर्तियां शुरू हो जाएंगी। उनकी इस घोषणा को सत्य मान ले तो भी यह सवाल तो बनता है कि देश में क्या सिर्फ तीस लाख ही बेरोजगार हैं। यदि नहीं तो बाकी बेरोजगारों का क्या होगा। जिन्हें इन तीस लाख पदों पर नियुक्ति नहीं मिलेगी, उनका क्या होगा। कांग्रेस को छोड़ दें तो अन्य दलों ने अपने घोषणा पत्र में सरकारी नौकरी की जगह रोजगार शब्द का इस्तेमाल किया है। समाजवादी पार्टी ने 2022 के चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में सत्ता में आने पर एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। 2024 के चुनावी घोषणापत्र में भी समाजवादी पार्टी ने रोजगार के अवसर बढ़ाने का वादा किया है। सभी युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा नहीं किया।
देश में कुल कितनी सरकारी नौकरी उपलब्ध है?- How Many Government Jobs in India?
देश में कुल कितनी सरकारी नौकरी उपलब्ध है?- How Many Government Jobs in India? का सीधा जवाब है कि देश में कुल करीब 1.4 करोड़ पद केन्द्र व राज्यों को मिलाकर उपलब्ध हैं।
इसमें से केन्द्र सरकार में पिछले वर्ष तक करीब 31 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। इसमें सभी श्रेणी व सभी विभागों के कर्मचारी शामिल हैं।केन्द्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने 26 जुलाई 2023 को लोकसभा में जानकारी दी थी कि एक मार्च 2022 तक 964359 पद केन्द्र सरकार में खाली थे। इन्हे अभियान चलाकर 2024 जनवरी तक भर दिया गया।
मोदी सरकार में कितने को मिली सरकारी नौकरी… How many government jobs were created during the Modi government?
मोदी सरकार में कितने को मिली सरकारी नौकरी… How many government jobs were created during the Modi government? का सीधा जवाब तो उपलब्ध नहीं है पर लोकसभा में 2023 में दी गई जानकारी और बाद में जनवरी 2024 में जारी सूचना के अनुसार केन्द्र सरकार ने एक मार्च 2022 तक खाली पड़े एक लाख पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाया था और रोजगार मेले का आयोजन कर जनवरी 2024 तक इन पदों पर भर्ती भी कर दी गई। मोदी सरकार ने 2022 से रोजगार मेले का आयोजन शुरू किया था। जनवरी 2024 में 12वां रोजगार मेले का आयोजन हुआ। इस दौरान युवाओं को दस लाख से अधिक सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र दिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस दौरान दावा था कि उनके दस साल के कार्यकाल में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दस साल के दौरान दी गई नौकरियों से डेढ़ गुना ज्यादा नौकरियां सरकारी क्षेत्र में दी गईं।
सभी को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं
इस तरह केन्द्र व राज्यों की मिला लें तो देश में महज एक करोड़ चालीस लाख नौकरियां ही सरकारी क्षेत्र में उपलब्ध हैं। अब यह सभी एक साथ तो रिक्त होने से रहीं। फिर भी अगर मान लें कि यह सभी एक साथ रिक्त हो गई तो भी क्या एक करोड़ चालीस लाख युवाओं की भर्ती करने से बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी। जाहिर सी बात है कि नहीं होगी। ऐसा इसलिए कि देश में युवाओं की संख्या इन नौकरियों की संख्या से बहुत अधिक है। इसलिए देश में सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है।
देश में कुल बेरोजगारों की संख्या कितनी है- Total number of unemployed in India
देश में कुल बेरोजगारों की संख्या कितनी है- Total number of unemployed in India का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि भारत युवाओं का देश कहा जाता है। अगर काम करने के लिए 15 से 64 वर्ष तक की आयु को पैमाना माना जाए तो 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल काम करने के लायक आबादी 97.2 करोड़ हैं। भारत में श्रम बल सहभागिता दर (LFPR – Labor Force Participation Rate) 49.9% है। इसका मतलब है कि काम करने लायक आबादी का लगभग आधा हिस्सा काम के लिए तैयार है।
देश में 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार काम करने वाले कुल भारतीयों की संख्या 58.6 करोड़ है। इसमें सरकारी नौकरी, निजी क्षेत्र में नौकरी, व्यवसाय, स्वरोजगार आदि सभी कुछ शामिल है।
इन सभी रोजगार में से सिर्फ 25 प्रतिशत नौकरी ही संगठित क्षेत्र में शामिल है। संगठित क्षेत्र में निजी व सरकारी क्षेत्र की नौकरियां आती हैं। यानी 15.2 करोड़ लोग औपचारिक रूप से नौकरी करते हैं। इसमें केन्द्र व राज्य को मिलाकर करीब 1.4 करोड़ लोग सरकारी क्षेत्र में तथा शेष निजी क्षेत्र में नौकरी करते हैं।
इस तरह काम करने लायक आबादी के सिर्फ 1.4% लोग ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं।
भारत में बेरोजगारी दर क्या है – Unemployment Rate in India
केन्द्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी दर पिछले आठ वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। National Sample Survey Office (NSSO) द्वारा जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में बेरोजगारी दर 3.1 प्रतिशत है। यानी भारत में बेरोजगारी दर बढ़ नहीं रही है।
वैसे विपक्ष इस आंकड़ों से संतुष्ट नहीं है। विपक्ष निजी क्षेत्र की संस्था CMIE (सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के आंकड़ों को आगे रख कर कहते हैं कि देश में बेरोजगारी दर दस प्रतिशत से अधिक है।
चुनावों के दौरान चल रही इस तू-तू मैं-मैं के बीच SBI ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक रिपोर्ट जारी (SBI Report) सरकारी आंकड़ों का समर्थन किया। CMIE की रिपोर्ट SBI का कहना था कि CMIE ने अपनी रिपोर्ट गलत तथ्यों के आधार पर बनाई है। इसमें जानबूझ कर सच्चाई को छिपाने व तोड़ने मरोड़ने का प्रयास किया गया है।
Politics of unemployment : बेरोजगारी पर राजनीति
क्यों है केन्द्र सरकार व CMIE की रिपोर्ट में अंतर – Why there is difference between government & CMIE data
भारत सरकार व CMIE द्वारा जारी बेरोजगारी दर के आंकड़ों में अंतर इन दोनो के द्वारा इस्तेमाल की जा रही गणना पद्धति में अंतर के कारण आ रहा है। आइए जानते हैं कि दोनो की गणना पद्धति में क्या अंतर है।
भारत सरकार पहले यूरोपियन स्टैंडर्ड के हिसाब से EUS यानी Employment-unemployment Survey के आधार पर बेरोजगारी दर तय करती थी। EUS में शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति होने वाले खर्च और ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका के आधार पर बेरोजगारी दर की गणना की जाती थी।
2017-18 में भारत सरकार ने PLFS या Periodic Labour Force Survey लांच किया और इस आधार पर बेरोजगारी दर को गिनने की शुरुआत की। PLFS में परिवार में शिक्षा की स्थिति को आधार बनाया गया है। प्रत्येक परिवार में 15 वर्ष से अधिक उम्र के सदस्यों की शैक्षिक स्थिति के आधार पर बेरोजगारी दर गिनी जाती है। इसमें उच्च शिक्षा को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसके पीछे माना यह जाता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी तभी परिवार अपने सदस्यों को उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ाएगा। आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर सदस्य आजीविका कमाने निकल पड़ते हैं, उच्च शिक्षा लेने की ओर नहीं बढ़ते।
इस तरह दोनो गणना पद्धतियों में जमीन आसमान का अंतर है। इसलिए इनके बीच तुलनात्मक अध्ययन नहीं हो सकता। (The overall unemployment rate as indicated by the PLFS survey increased to 6.1% in 2017-18, higher than 2.0% in 2009-10 as indicated by the earlier EUS-NSSO survey. The unemployment rate of PLFS however has declined much over the years.However, the two are based on different methodologies which makes them incomparable. The methodology adopted for the PLFS is based on the education level of households where larger weights are assigned to households having a higher number of 10th pass members above 15 years while earlier survey of EUS was based on expenditure (urban) or livelihood (rural) of households, thus perhaps having a built-in mechanism of a downward bias as consumption expenditure in India is always on the higher side.)
क्या है युवा बेरोजगारी का सच-Truth Behind Youth Unemployment
एसबीआइ की रिपोर्ट के अनुसार CMIE ने बीस से 25 वर्ष के युवाओं में 80 प्रतिशत बेरोजगारी का जो दावा किया है वह वास्तव में उच्च शिक्षा के बढ़ते अवसरों को दिखाता है। पिछले दस वर्षों में उच्च शिक्षा के अवसर तेजी से बढ़े हैं। परिवारों में संपन्नता आने के चलते बड़ी संख्या में रोजगार से जुड़ने की जगह उच्च शिक्षा में जा रहे। इसलिए बीस से 25 वर्ष के युवाओं में बेरोजगारी दर ज्यादा दिख रही है। पर इससे ऊपर के युवाओं में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर है।
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1952 संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के भविष्य निधि, पेंशन व बीमा का प्रबंधन करने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2023 तक देश में कुल खाताधारकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। सितंबर 2023 तक 17 लाख बीस हजार खाताधारक थे। 2019-20 में 78.58 लाख खाताधारक थे। खाताधारकों में हुए इस इजाफे में 58.9 प्रतिशत संख्या 18 से 25 साल के युवाओं की है। कुल मिलाकर इससे यह पता चलता है कि देश में युवाओं के रोजगार में वृद्धि हुई है।
मोदी ने कितनी नौकरियां पैदा की – how many jobs has modi created or state of employment during modi government
मोदी ने कितनी नौकरियां पैदा की – how many jobs has modi created or state of employment during modi government का जवाब जानने के लिए कुछ विशेषज्ञों की बातें सुनते हैं-
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत की ओर से कार्यकारी निदेशक रहे व प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रहे लेखक, अर्थशास्त्री व विश्लेषक सुरजीत भल्ला का कहना है कि अपने दस वर्ष के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में रोजगार व नौकरी के अभूतपूर्व अवसर पैदा किए हैं। संख्या के हिसाब से देंखे तो यह एक करोड़ प्रति वर्ष से अधिक है। उन्होने यहां तक कहा कि यूपीए के दस साल के कार्यकाल में 2004 से 2013 तक में सबसे कम नौकरियां उपलब्ध हुईं थीं।
- कुछ समय पूर्व International Labour Organization (ILO) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2022 में बेरोजगारों में युवाओं की हिस्सेदारी 83 प्रतिशत से अधिक थी। सुरजीत भल्ला का कहना है कि 29 वर्ष व उससे ऊपर के उम्र में देखेंगे तो बेरोजगारी की यह दर एक प्रतिशत से भी कम है।
- एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में रोजगार सृजन की इतनी योजनाएं लांच की है, कि उनके लाभार्थियों को मिला लिया जाए तो मोदी सरकार में प्रति वर्ष सृजित रोजगार की संख्या दो करोड़ प्रति वर्ष से अधिक है। इस संबंध में कुछ आंकड़ों पर ध्यान देने की जरूरत है।
- EPFO की रिपोर्ट के अनुसार देश में संगठित क्षेत्र में नौकरियों में अगर तेज वृद्धि हुई है तो ESI की रिपोर्ट भी इसकी गवाही दे रही है। ESI Scheme में अकेले सितंबर 2023 तक 22544 नए संगठन और 18.88 लाख कर्मचारी जुड़े हैं। ESI Scheme में दस या उससे अधिक कर्मचारी वाले संगठन जोड़े जाते हैं। इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य व जीवन बीमा का लाभ दिया जाता है। इन कर्मचारियों में 47.98 प्रतिशत यानि करीब 9.06 लाख कर्मचारी 25 वर्ष से कम के युवा हैं।
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- प्रधानमंत्री द्वारा शुरू एक अन्य महत्वपूर्ण योजना Prime Minister’s Employment Generation Programme के आंकड़े भी रोजगार सृजन में आई जबरदस्त तेजी की गवाही दे रहे हैं। शुरुआत के बाद ही 8.34 लाख माइक्रो एन्टरप्राइजेज इस योजना से जुड़े थे। इनके माध्यम से 68 लाख नौकरियां सृजित हुईं। 2022 में इसमें 1.03 लाख युनिट जुड़ीं। इनसे आठ लाख नौकरियों का सृजन हुआ। इसी तरह 2023 में इसमें 7.5 लाख माइक्रो व स्माल युनिट का इजाफा हुआ जो अपने आप में किसी एक वित्तीय वर्ष में इस योजना से सबसे ज्यादा संख्या में युनिट्स जुड़ने का एक रिकार्ड है। इस तरह अकेले इस स्कीम ने लाखों नौकरियों का सृजन किया।
-मोदी सरकार की एक और प्रभावशाली योजना रही स्टार्टअप योजना। मोदी सरकार ने स्टार्टअप को काफी प्रोत्साहन दिया। इसका नतीजा रहा कि 2013 में देश में जहां सिर्फ 7700 स्टार्ट अप थे वहीं मोदी राज के पहले नौ साल में इनकी संख्या एक लाख को भी पार कर गई। इनमें से 111 यूनीकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न वह औद्योगिक इकाइयां होती हैं जिनका वार्षिक टर्नओवर एक अरब डालर या 8300 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है। यह स्टार्ट अप रोजगार सृजन के बेहतर खिलाड़ी साबित हुए हैं।
-इन सबके अतिरिक्त असंगठित क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई योजनाओं से रोजगार के अवसर रिकॉर्ड संख्या में सृजित हुए हैं। इनमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, स्वयं सहायता समूह आदि योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से करोड़ों लोगों को बिना गारंटी के धन उपलब्ध कराकर रोजगार व्यवसाय शुरू करने में मदद की गई है। यह योजनाएं बेरोजगारी व गरीबी दूर करने में मील का पत्थर साबित हुई हैं। उदाहरण के लिए देश में करीब 77.4 लाख स्वयं सहायता समूह है। इन समूहों के माध्यम से आठ करोड़ से अधिक महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मोदी सरकार के प्रयासों से अब तक एक करोड़ से अधिक लखपति दीदी बन चुकी हैं। लखपति दीदी वह महिलाएं होती हैं जिनकी वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो जाती है।
-पीएम स्वनिधि योजना के तहत 50 लाख से अधिक रेहड़ी खोमचा लगाने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर उन्हें व्यवसाय बढ़ाने में मदद की गई।
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-प्रधानमंत्री मुद्रा योजना एक ऐसी योजना बन कर उभरी जिसने देश के युवाओं को नौकरी मांगने वाला बनने की जगह नौकरी देने वाला बनाने में मदद की। देश में अकेले मुद्रा योजना के 41 करोड़ लाभार्थी हैं। इन्हें बिना गारंटी का लोन देकर अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने में मदद की गई है। इन 41 करोड़ में आठ करोड़ ऐसे लोग हैं जिन्होने पहली बार लोन लिया है। इन आठ करोड़ में 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। साथ ही 51 प्रतिशत एससीएसटी व ओबीसी हैं।
economy of india under modi era-मोदी राज में अर्थव्यवस्था का हाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दस साल के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि काफी तेज गति से हुई है।
एनडीए सरकार के तहत भारत दुनिया में सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक पल है। पस्त पड़ चुकी विकास दर, भारी महंगाई और उत्पादन में कमी के दौर से उबरते हुए एनडीए सरकार ने न सिर्फ मैक्रो-इकनॉमिक फंडामेंटल्स को मजबूत किया, बल्कि अर्थव्यवस्था को एक तेज रफ्तार विकास पथ ले आई। भारत की जीडीपी विकास दर कुलांचे भर कर 7.4% हो गई, जो दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। विभिन्न रेटिंग एजेंसी और थिंकटैंक ने अनुमान जताया है कि एनडीए सरकार के तहत अगले कुछ वर्षों में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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