mahakumbh 2025 : सरकार के कब्जे से मुक्त हो मंदिर ः महंत रवीन्द्र पुरी
विहिप व आरएसएस सरकार पर दबाव नहीं डालेंगे तो संत ठोकेंगे ताल
mahakumbh 2025 : देश में मस्जिद व गिरिजाघर तो आजाद हैं पर धर्म निरपेक्षता का दावा करने वाले भारत में सनातन धर्म के मंदिर आजाद नहीं हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवीन्द्र पुरी का कहना है कि देश के चार लाख से अधिक मंदिर सरकारी कब्जे में है। इन्हें सरकार के कब्जे से मुक्त होेना चाहिए। विश्व हिन्दू परिषद व आरएसएस को सरकार पर इस संबंध में दबाव डालना चाहिए। अन्यथा संत समाज इस मुद्दे को अपने हाथ में ले लेगा।
सनातन बोर्ड का गठन जरूरी
सनातन बोर्ड के गठन को लेकर भी महंत रवीन्द्र पुरी पूरी तरह मुखर नजर आए। कथावाचक देवकीनंदन शास्त्री द्वारा शुरू किए गए अभियान को महानिर्वाणी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवीन्द्र पुरी ने भी अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। दो जनवरी को महानिर्वाणी अखाड़ा नगर प्रवेश करेगा। इससे पूर्व अतुल्य समाचार व पीन्यूज सिर्फ सच से बात करते हुए महंत रवीन्द्र पुरी ने कहा कि सनातन बोर्ड का गठन समय की मांग है।
बोर्ड गठन के लिए सभी चार मुख्य संप्रदायों को साथ लेना चाहिए
सनातन बोर्ड को लेकर महंत रवीन्द्र पुरी का कहना है कि इसके गठन के लिए सनातन धर्म के सभी चार मुख्य सम्प्रदायों को साथ लेना चाहिए। चारो शंकराचार्य, वैष्णव, उदासीन परंपरा के संत, जगदगुरू आदि सभी 127 परंपरा के संतो को इसमें शामिल कर एक राय बनानी चाहिए।
दो जनवरी को नगर प्रवेश करेगा महानिर्वाणी अखाड़ा
सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन महाकुंभ मेला प्रयागराज का काउंटडाउन शुरू हो गया है। मां गंगा के किनारे रेत में बसी संगम नगरी बड़ी तेजी से आबाद हो रही है। अधिकांश बड़े अखाड़े नगर प्रवेश कर चुके हैं। दो जनवरी को महानिर्वाणी अखाड़ा नगर प्रवेश करेगा। बाघम्बरी गद्दी से जुलूस शुरू होगा। 12 जनवरी तक कल्पवासी भी महाकुंभ क्षेत्र में पहुंच जाएंगे। इस तरह यह नगर पूरी तरह आबाद हो जाएगा। इस महा आयोजन में सनातन धर्म व संस्कृति के समक्ष वर्तमान समय में खड़ी समस्याओं पर भी चर्चा होगी।
सनातन बोर्ड की जरूरत नहीं ः महंत रामगोपाल दास
राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के शिष्य महंत रामगोपाल दास सनातन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। महंत नृत्य गोपाल दास के महाकुंभ स्थित मणिराम छावनी अयोध्या के शिविर का प्रबंधन संभाल रहे महंत रामगोपाल दास का कहना था कि दूसरे की नकल करने की जरूरत नहीं है।महंत रामगोपाल दास का कहना है कि हूणों से लेकर मुगल तक तमाम आंक्राता आए पर सनातन को मिटा नहीं पाए। उस समय कोई हिन्दू संगठन नहीं था। सनानत धर्म का लचीलापन ही उसका रक्षा कवच बना।