महाकुम्भ_2025 में सभी ओर वैभव का जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। बड़े आलीशान प्रवेश द्वार, उतने ही आलीशान मंडप व शिविर बनाए गए हैं। करोड़ों के खर्च से बने इन महलनुमा पंडालों से भी जब जी नहीं भरा तो भौकाली बाबाओं ने तीर्थराज प्रयाग के आंगन में बसी आध्यात्मिक नगरी महाकुंभ नगर में फिल्मी हस्तियों का तड़का लगाना शुरू कर दिया। खूबसूरत मॉडल नागा सन्यासियों के जुलूस में शामिल होने लगी। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महर्षि महेश योगी संस्थान का उत्तरदायित्व संभाल रहे ब्रह्मचारी गिरीश जी ने भौकाली बाबाओं को बड़ी विनम्रता के साथ कड़ी लताड़ लगाई है। ब्रह्मचारी गिरीश का कहना था कि महाकुंभ साधना स्थली है, प्रदर्शन स्थली नहीं।
लाखों-करोड़ो की लागत से बने गेट दस सेकेंड में पार कर जाते हैं लोग
महर्षि विद्या मंदिर स्कूल समूह के चेयरमैन, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी का कहना था कि पूर्व के संत अपनी साधना व सिद्धियों के दम पर जाने जाते थे। पूज्य देवरहा बाबा चार बल्लियों पर बने मचान पर रहते थे। कोई आडंबर नहीं, कोई गेट या पंडाल नहीं। आज करोड़ों के गेट बनाए जा रहे हैं। यह गेट दस सेकेंड में पार कर लिए जाते हैं। तो डेढ़ करोड़ का गेट तो 10 सेकंड में बेकार। यह वैभव याद नहीं रखा जाएगा। हमको गेट दिखाकर लोगों को बुलाने की आवश्यकता नहीं है। हमको ज्ञान दिखा कर बुलाने की आवश्यकता है। लोगों को अगर आकर्षित करना है तो अध्यात्म में करना है, धर्म में करना है। धर्म ध्वज के नीचे सबको लेकर आना है। गेट महत्वपूर्ण नहीं है। धर्म की बात होना चाहिए ।आध्यात्मिकता की बात होनी चाहिए।
महाकुम्भ_2025 : संत अपनी साधना, अपने योग का बल दिखाएं
ब्रह्मचारी गिरीश का कहना था कि संतों को अगर कुछ दिखाना है तो अपनी साधना, अपने योग का बल दिखाएं। धन बल नहीं। महर्षि महेश योगी को याद करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि आज सब बातें हो रही हैं लेकिन साधना नहीं हो रही है।
महर्षि दो-तीन चीज बहुत अच्छी करते थे। कहते थे कि साधना होगी तो साधन अपने आप जुट जाएगा। महर्षि हर चीज का शास्त्रीय प्रमाण देते थे। उन्होने अपने इस वाक्य का भी प्रमाण दिया। महर्षि ने बताया कि उपनिषद का वाक्य है,
क्रिया सिद्धि सत्वे भवती महताम नो उपकरणे
यानि क्रिया की सिद्धि सत्य से होती है, उपकरण से नहीं। गेट लगाना उपकरण हो गया। साधन सुविधा होनी चाहिए लेकिन अध्यात्म और साधना की कीमत पर नहीं।
प्रचार जरूरी पर मॉडल नहीं
ब्रह्मचारी गिरीश जी का कहना था कि आज के जमाने में तो थोड़ा बहुत प्रचार-प्रसार जरूरी है। कई अच्छे संत हैं जो प्रचार के अभाव में कहीं कोने में पड़े हुए हैं। प्रचार के लिए माडल की जरूरत नहीं है। महर्षि को याद करते हुए गिरीश जी ने बताया कि मीडिया का उपयोग जितना महर्षि ने किया उतना अभी तक किसी ने नहीं किया। एक समय वॉशिंगटन डीसी में महर्षि की कॉन्फ्रेंस में 300 पत्रकार हाजिर थे. उस समय न you tube था ना सोशल मीडिया था.
विद्वानों को साथ बिठाकर मीडिया से मिलते थे महर्षि
मीडिया को आकर्षित करने के लिए महर्षि ने किसी मॉडल को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में या सम्मेलन में नहीं बिठाया। महर्षि वेद के विद्वानों को, आयुर्वेद के विद्वानों को अपने साथ बिठाकर मीडिया से बात करते थे।
मेरे योग का ऐश्वर्य देखो, मेरे धन का नहीं
महर्षि शैक्षणिक समूह के अध्यक्ष ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बताया कि भगवान ने गीता में एक बात कही है, पश्चमें योग मैश्वराम। मेरे योग का ऐश्वर्य देखो। उन्होंने मेरे धन का ऐश्वर्य देखो या मेरी लक्ष्मी का ऐश्वर्या देखो ऐसा तो नहीं कहा। उन्होंने योगस्था कर्म कर्मणि बताया यानी योग में स्थिर होकर कर्म करो, योग कर्मसु कौशलम् यानी योग से कर्म की कुशलता में वृद्धि करें। गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा जो इच्छा करिहो मन माही। भावातीत चेतना में जाकर जो संकल्प करेंगे वह सिद्ध होगा।
महिलाओं के लिए खोला है मदर डिवाइन सेंटर
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बताया कि महिलाओं को अध्यात्म के मार्ग में आने में असुविधा न हो, इसके लिए भोपाल में मदर डिवाइन सेंटर खोला है। इसमें सिर्फ महिलाएं रहेंगी। सेंटर की सारी व्यवस्था भी महिलाएं ही संभालेंगी। महिलाओं को भी ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़कर के खुद को इनलाइटनमेंट करके आगे बढ़ना चाहिए।
महाकुम्भ_2025 : कुंभ से महर्षि को था खासा लगाव
महर्षि महेश योगी को कुंभ से खासा लगाव था. ब्रह्मचारी गिरीश जी पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि महर्षि आजादी के बाद के सभी कुंभ में शामिल रहे। 2001 कुंभ में महर्षि ने चार्टर्ड फ्लाइट से विदेशी भक्तों को भारत भेज कर संगम स्नान कराया था। 1989 में दस हजार छात्रो को महर्षि ने कुंभ स्नान के लिए भेजा था। 1989 में महर्षि सिर्फ एक दिन के लिए कुंभ में आए थे पर बाद में यही रुक गए। उन्हें कुंभ का आध्यात्मिक वातावरण बहुत पसंद था। उन्होने महर्षि विद्यालय के छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए बस की व्यवस्था कर उन्हें कुंभ में बुला लिया था।
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महर्षि विद्या मंदिर के बच्चों को मिल रहा कुंभ दर्शन का लाभ
महर्षि की इस परंपरा को आज भी जारी रखा गया है. इस बार महर्षि आश्रम में अरैल की ओर गंगा तट पर शाम को होने वाली सांस्कृतिक संध्या में महर्षि विद्या मंदिर के संगीत शिक्षक और संगीत के क्षेत्र में मेरिट वाले छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। इस तरह उन्हें कुंभ में आने का मौका मिल रहा है।
महाकुंभ नगर में प्रतिदिन हो रहा 31 अति रुद्राभिषेक का पाठ
ब्रह्मचारी गिरीश जी ने बताया कि महर्षि संस्थान में प्रतिदिन 31 अति रुद्राभिषेक का पाठ हो रहा है। यह कुल 1331 अतिरुद्धाष्टाध्यायी का पाठ है। यह एक ऐतिहासिक कार्य है। इसके अतिरिक्त दोपहर में भागवत व रामायण की कथा हो रही है। शाम को स्कूल के संगीत शिक्षक और पदक विजेता बच्चे आ कर कार्यक्रम कर रहे है। उन्हे सम्मानित किया जा रहा है।