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UPSC chairperson Manoj Soni : कलेक्टर बनाने वाला बना सन्यासी

UPSC chairperson Manoj Soni ने निजी कारणों से UPSC के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया

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UPSC chairperson Manoj Soni जो अब तक देश के लिए कलेक्टर और पुलिस कप्तान चयनित करते थे, अब वह अपनी जिंदगी को नई दिशा देने के लिए सन्यास मार्ग पर निकल कर रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मनोज सोनी ने 20 जुलाई 2024 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। निजी कारणों का हवाला देते हुए, सोनी ने अपनी अवधि समाप्त होने से पांच साल पहले पद छोड़ने का फैसला किया है।

स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़े हैं UPSC chairperson Manoj Soni

UPSC chairperson Manoj Soni दशकों से स्वामी नारायण संप्रदाय से जुड़े हैं। उनका मन सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों में लगा हुआ है। स्वामीनारायण संप्रदाय के तहत अनुपम मिशन संचालित होता है। इसके साथ मनोज सोना लंबे समय से जुड़े रहे है।
अनुपम मिशन एक गैर-लाभकारी संगठन है। इस मिशन की स्थापना 1965 में गुजरात के मोगरी, आनंद जिले में हुई थी। इसका उद्देश्य श्री सहजानंद स्वामी, जिन्हें स्वामीनारायण के नाम से जाना जाता है, की शिक्षाओं का प्रसार करना है। स्वामीनारायण ने हिंदू धर्म के भक्ति मार्ग का प्रचार करने के साथ ही जीवन में एक कठोर नैतिकता अपनाने पर जोर दिया था। मनोज सोनी अपने युवावस्था से ही अनुपम मिशन से जुड़े रहे हैं। 2020 में स्वामी नारायण संप्रदाय ने मनोज सोनी को औपचारिक रूप से दीक्षा दी और उन्हें ‘निष्काम कर्मयोगी’ कह कर सम्मानित किया। इसके बाद मनोज सोनी का अध्यात्म की तरफ रुझान और बढ़ गया।

UPSC chairperson Manoj SoniUPSC chairperson Manoj Soni का अकादमिक करियर व प्रशासनिक अनुभव

UPSC के चेयरपर्सन मनोज सोनी का अकादमिक करियर बहुत शानदार रहा। वह तीन बार कुलपति रहे। नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मनोज सोनी भारत में सबसे कम उम्र में कुलपति बनने वालों में शामिल रहे। मात्र 40 साल की उम्र में उन्हें महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU) ऑफ बड़ौदा का कुलपति बनाया गया था। इसके बाद वह डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (BAOU), गुजरात में 2009 से 2015 तक लगातार दो कार्यकालों तक कुलपति रहे।

2017 में बने थे UPSC के सदस्य

UPSC chairperson Manoj Soni का UPSC में कार्यकाल 28 जून 2017 को शुरू हुआ, जब वह आयोग के सदस्य बने थे। उन्होंने 16 मई 2023 को अध्यक्ष पद की शपथ ली। उनका कार्यकाल 2029 तक था। लेकिन उन्होने समय से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

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Puja khedkar controversy के बीच दिया इस्तीफा

UPSC chairperson Manoj Soni का UPSC के अध्यक्ष पद से इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब आयोग आइएएस प्रोबेशनरी अधिकारी पूजा खेडकर से संबंधित विवाद में उलझा हुआ है।Puja khedkar पर फर्जी विकलांगता और जाति प्रमाण पत्र जमा करने समेत बार बार अपना नाम, पता, ईमेल, माता पिता का नाम आदि बदलने जैसे धोखाधड़ी के गंभीर आरोप हैं। इसके बीच मनोज सोनी का इस्तीफा कुछ लोग इस controversy से जोड़ कर देख रहे हैं। वैसे उनके नजदीकी लोग इससे इंकार कर रहे हैं। मनोज सोनी ने खुद अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि वह अपने आध्यात्मिक यात्रा के लिए इस्तीफा दे रहे हैं।UPSC chairperson Manoj Soni

UPSC chairperson Manoj Soni ने UPSC के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की

UPSC chairperson Manoj Soni  ने अपने इस्तीफे में UPSC के प्रति आभार व्यक्त किया ।उन्होंने कहा, “UPSC के साथ मेरी यात्रा संतोषजनक रही है, फिर भी मेरा हृदय एक उच्च उद्देश्य की सेवा करने के लिए तरसता है।” उनका इस्तीफा अभी औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है, पर सोनी अनुपम मिशन की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के अपने निर्णय में दृढ़ हैं।

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क्या है अनुपम मिशन

स्वामीनारायण संप्रदाय के तहत संचालित अनुपम मिशन एक गैर-लाभकारी संगठन है। अनुपम मिशन की वैश्विक पहुंच, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में केंद्र शामिल हैं। सोनी को सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योगदान देने के लिए अनुपम मिशन के माध्यम से एक वैश्विक मंच मिलेगा। उनके शामिल होने से स्वामीनारायण की शिक्षाओं के प्रसार और नैतिक और नैतिक जीवन के प्रचार में मिशन के प्रयासों में एक नई गतिशीलता आने की उम्मीद है।

UPSC chairperson Manoj Soniविरासत और भविष्य

मनोज सोनी का UPSC से प्रस्थान उनके पेशेवर जीवन के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत है। UPSC में उनकी विरासत में न केवल सिविल सेवाओं की परीक्षा प्रक्रिया में उनके योगदान शामिल हैं, बल्कि नैतिक सिद्धांतों और सार्वजनिक कल्याण के प्रति उनकी अडिग निष्ठा भी शामिल है।
जैसे ही सोनी इस नई यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं, उनका निर्णय एक गहन व्यक्तिगत परिवर्तन को उजागर करता है। आध्यात्मिकता के प्रति उनका आजीवन समर्पण इस बात की याद दिलाता है कि सच्ची संतुष्टि अक्सर व्यक्ति की आंतरिक पुकार का अनुसरण करने में होती है, जो पेशेवर जीवन की प्रशंसा और जिम्मेदारियों से परे होती है।

 

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