UPSC chairperson Manoj Soni : कलेक्टर बनाने वाला बना सन्यासी
UPSC chairperson Manoj Soni जो अब तक देश के लिए कलेक्टर और पुलिस कप्तान चयनित करते थे, अब वह अपनी […]
UPSC chairperson Manoj Soni जो अब तक देश के लिए कलेक्टर और पुलिस कप्तान चयनित करते थे, अब वह अपनी […]
देश में कुल कितनी सरकारी नौकरी उपलब्ध है?- How Many Government Jobs in India? का सीधा जवाब है कि देश में
विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से प्राप्त आंकड़े व रिपोर्ट्स यह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि देश में रोजगार के अवसरों में रिकॉर्ड तेजी आई है। रोजगार बढ़े हैं और बेरोजगारी घटी है। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी नहीं होता।
क्या सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दे पाएगा विपक्ष यानि Can Opposition Give Jobs to All Unemployed..यह Politics Of Unemployment से जुड़ा एक गंभीर सवाल है। विपक्षी सरकारों से मिले भूतकाल के अनुभवों को देंखे तो फिलहाल यह सिर्फ चुनावी झुनझुना ही लग रहा है।
राहुल गांधी के गुरु इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष Sam Pitroda ने एक बार जहर उगला है। लोकसभा चुनाव के
Elvish Yadav Case : बिग बॉस ओटीटी 2 विनर और यूट्यूबर सिद्धार्थ यादव उर्फ एल्विश यादव की मुश्किलें लगातार बढ़ती
संदेशखाली में अनुसूचित जाति, जनजाति की सैकड़ों महिलाओं के यौन उत्पीड़न करने और उनकी जमीन जायदाद छीन लेने जैसे गंभीर
कांग्रेस ने ओबीसी के लिए क्या किया. सपा ने पिछड़ों का कितना भला किया। Reality of MY Samikaran या MY Samikaran की वास्तविकता जांचने पर पता चलता है कि अधिकांश यादव सिर्फ छले गए। ऐसे में यक्ष सवाल यह है कि आखिर वह ओबीसी कौन हैं जो सपा, कांग्रेस, टीएमसी आदि के साथ खड़े है ।
कांग्रेस अपने Anti Hindu गतिविधिओं के लिए पहली बार कटघरे में नहीं आई है। कांग्रेस का पूरा शासनकाल ही Anti Hindu रहा है। आजादी के बाद कांग्रेस पूरी तरह मुसलमानों को रिझाने के काम में जुट गई। Muslim Reservation कोई आज की बात नहीं है। कांग्रेस की चली होती तो वह मुसलमानों को दशको पहले Reservation दे चुकी होती। आज देश के कई राज्यों में मुसलमानों को अलग अलग नाम से आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें अधिकांश आरक्षण ओबीसी कोटा में दिया गया है जबकि कुछ राज्यों में तो सीधे धर्म आधारित आरक्षण ही दे दिया गया है। यह आरक्षण कांग्रेस या कांग्रेस के सहयोगी रहे त्रणमूल कांग्रेस, बीआरएस, डीएमके, कम्यूनिस्ट पार्टी जैसे दलों ने दिया है।
ढाई लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़कर तीस हजार रुपये महीने पर काम करने अगर जाएंगे तो दुनिया पागल कहेगी। पर जब दिल में देश सेवा का जज्बा हो, समाज के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो पैसा मायने नहीं रखता। IAS Topper Aditya Srivastava भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं। Goldman Sachs की ढाई लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़कर सिविल सर्विसेज ज्वाइन कर रहे हैं।
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