Muslim Reservation : कांग्रेस भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाकर ही मानेगी

अपने राज में हिन्दुओं के खिलाफ लगातार कांग्रेस ने बनाए कानून

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Congress भारत को muslim country बनाकर ही मानेगी

एक वोटबैंक के रूप में मुसलमानों की एकजुटता कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे गैर भाजपा दलों को सदैव लुभाते रहे हैं। इस वोट बैंक को कैश करने के लिए यह दल किसी भी हद तक जाने को तैयार रहे हैं। Muslim Reservation और देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है, जैसी बातें इसी का नतीजा है। कांग्रेस का पूरा शासनकाल मुसलमानों के प्रति उसकी दीवानगी का सबूत रहा है। यह दीवानगी समय के साथ लगातार बढ़ती रही है। Muslim Reservation इसका अंत नहीं है। शायद हिन्दुस्तान को मुस्लिम राष्ट्र में तब्दील करने के बाद ही कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम अपने अंतिम परिणति तक पहुंचेगा।

धर्म आधारित आरक्षण यानि एक और बंटवारे का बीज

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में राष्ट्रीय जैसा कुछ है नहीं। यह कांग्रेस पूरी तरह मुसलमानों की दीवानी कांग्रेस है। शुरुआत तो आजादी के पहले ही हो गई थी जब कांग्रेस ने 1909 में लार्ड मिंटो की मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र देने का प्रस्ताव किया था जिसे कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया था। इसी प्रस्ताव के तहत 1937 के प्रादेशिक चुनाव हुए थे। इन चुनावों में मुस्लिम लीग ने सभी मुस्लिम सीटों पर कब्जा किया था जबकि गांधी जी के नेतृत्व में ईश्वर अल्लाह तेरो नाम गाने वाली कांग्रेस को केवल हिन्दू बहुल सीटों पर ही जीत मिली थी। मुसलमानों ने मुस्लिम लीग के आगे कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया था। अलग निर्वाचन क्षेत्र बाद में अलग देश की मांग तक पहुंच गया और देश का विभाजन हो गया।  इसी तरह धर्म आधारित आरक्षण को एक और विभाजन का बीज माना जा रहा है। संविधान सभा में भी इस बारे में पर्याप्त चर्चा हुई थी। इसके बाद संविधान में धर्म आधारित आरक्षण को पूरी तरह नकार दिया गया पर कांग्रेस है कि मानती नहीं।

Nehru के जमाने से ही मुसलमानों को रिझाने में जुटी है कांग्रेस

धर्म के आधार पर विभाजन फिर भी मुसलमानों काे पाकिस्तान नहीं भेजा देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था। इस विभाजन के समर्थन में अधिकांश मुस्लिमों ने वोट भी किया था। इन्ही वोट के बदौलत मुस्लिम लीग देश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। इसके बावजूद कांग्रेस ने विभाजन के समय आबादी की अदला बदली नहीं की। बड़ी संख्या में मुसलमानों को भारत में रोक लिया गया। इसके साथ ही शुरू हो गई वोट बैंक की कवायद। वोट बैंक के रूप में मुस्लिम वर्ग की एकजुटता कांग्रेस को बहुत भाई। जवाहर लाल नेहरू के जमाने से ही कांग्रेस मुसलमानों को रिझाने के लिए पूरी ताकत से जुट गई।

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1954 में ही डाल दिया गया वक्फ बोर्ड का बीज

आज देश में रेलवे व सेना के बाद जमीन का सबसे बड़ा मालिक बन चुके वक्फ बोर्ड का बीज जवाहर लाल नेहरू के समय ही डाल दिया गया था। मजे की बात यह है कि पाकिस्तान समेत किसी भी मुस्लिम देश में वक्फ बोर्ड जैसी कोई व्यवस्था नहीं है पर भारत में इसे आजादी के तुरंत बाद ही बना दिया गया।
1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था, इस अधिनियम को मंजूरी 1955 में मिल गई थी. इसके बाद वक्फ का केंद्रीकरण हुआ. अधिनियम के तहत, सरकार ने 1964 में एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की थी. इसके बाद 1995 में हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया था. अब तो बिहार जैसे कुछ राज्यों में शिया और सुन्नी के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई है.

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इंदिरा ने बनाया पर्सनल लॉ बोर्ड

जवाहर लाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी ने भी अपने मुस्लिम प्रेम की धार को तेज किया। उन्होने भारत के धर्म निरपेक्ष स्वरूप को दरकिनार कर मुसलमानों के लिए 1973 में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थापना की। यह पर्सनल लॉ बोर्ड बनाकर इंदिरा गांधी ने देश में बाबा साहब आंबेडकर के संविधान की जगह शरीया कानून लागू करा दिया।

प्लेसस आफ वर्शिप एक्ट ने दी मुस्लिम प्रेम को धार

1991 का प्लेसस आफ वर्शिप एक्ट भी कांग्रेस के मुस्लिम प्रेम का एक बड़ा नमूना रहा है। कांग्रेस ने इस कानून के माध्यम से देश में मंदिरों को तोड़ कर मुस्लिम आंक्रांताओं द्वारा बनाई गई गुलामी की निशानियों की प्रतीक मस्जिदों को सुरक्षित और संरक्षित रखने की कोशिश की जिससे कि कभी हिंदू एक होकर इन्हें वापस न मांग सके। यह एक्ट इस तरह बनाया गया था कि हिन्दू अपने प्राचीन गौरव को पाने के लिए अदालत का भी सहारा न ले सके।

UPA सरकार ने राहूल-सोनिया के नेतृत्व में Muslim Reservation की ओर बढ़ाया कदम

रंगनाथ मिश्र आयोग व सच्चर कमेटीकांग्रेस मुसलमानों को लेकर किस तरह दीवानी रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जून 2004 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार बनने के तुरंत बाद अक्टूबर 2004 में कांग्रेस ने मुसलमानों की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जस्टिस रंगनाथ नाथ मिश्र आयोग का गठन किया। इस आयोग ने 2007 में इस्लाम व ईसाई धर्म अपनाने वाले एससी-एसटी समुदाय के लोगों को भी आरक्षण देने का सुझाव दिया। यह एस सी एसटी समुदाय के धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने वाला सुझाव था जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में खारिज कर दिया।
रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट में विलंब को देखते हुए मुसलमानों की दीवानी कांग्रेस ने मार्च 2005 में सच्चर समिति का गठन किया। यह सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति थी। भारत में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए गठित इस समिति की अध्यक्षता दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिंदर सच्चर ने की थी। समिति ने 2006 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। 403 पन्नों की रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों के समावेशी विकास के लिए सुझाव और समाधान थे। इसमें मुसलमानों को देश का सबसे पिछड़ा वर्ग मानते हुए उन्हें आरक्षण समेत तमाम सुविधाएं देने की सिफारिश की गई थी।

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कांग्रेस अपने Anti Hindu गतिविधिओं के लिए पहली बार कटघरे में नहीं आई है। कांग्रेस का पूरा शासनकाल ही Anti Hindu रहा है। आजादी के बाद कांग्रेस पूरी तरह मुसलमानों को रिझाने के काम में जुट गई। Muslim Reservation कोई आज की बात नहीं है। कांग्रेस की चली होती तो वह मुसलमानों को दशको पहले Reservation दे चुकी होती। आज देश के कई राज्यों में मुसलमानों को अलग अलग नाम से आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें अधिकांश आरक्षण ओबीसी कोटा में दिया गया है जबकि कुछ राज्यों में तो सीधे धर्म आधारित आरक्षण ही दे दिया गया है। यह आरक्षण कांग्रेस या कांग्रेस के सहयोगी रहे त्रणमूल कांग्रेस, बीआरएस, डीएमके, कम्यूनिस्ट पार्टी जैसे दलों ने दिया है।

राज्य स्तर पर भी मुसलमानों के लिए समर्पित रही कांग्रेस

कांग्रेस केवल केन्द्रीय स्तर पर ही मुसलमानों के लिए पूरी तरह समर्पित नहीं रही वरन राज्य स्तर पर भी पूरी तरह समर्पित रही है। कांग्रेस ने 2004 में आंध्र प्रदेश में पहली बार मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया। इतना ही नहीं, इसके बाद कर्नाटक में सत्ता में आने पर कांग्रेस ने यहां भी मुसलमानों को आरक्षण दे दिया। कांग्रेस ने तेलंगाना में भी मुसलमानों को आरक्षण देने का वादा किया था पर उस दौरान उनकी सरकार बन नहीं पाई थी। तेलगांना राज्य के गठन के बाद सत्ता में आए के चन्द्रशेखर राव ने मुसलमानों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था पर सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह मामला अभी तक अटका हुआ है। फिलहाल तेलंगाना में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।  इसके अतिरिक्त कांग्रेस के सहयोगी दल डीएमके ने तमिलनाडू में जबकि कम्यूनिस्ट पार्टी ने केरल में मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण दिया। इन सभी ने मुसलमानों को एक धार्मिक समुदाय के रूप में पिछड़ा बताते हुए यह सुविधा दी जबकि संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण देने का पूरी तरह से विरोध करता है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अगाड़ी की गठबंधन सरकार के दौरान भी महाराष्ट्र में मुसलमानों को आरक्षण देने की कवायद शुरू की गई थी। यह कवायद परवान चढ़ती इससे पहले सरकार बदल गई।
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सैम पित्रोदा का बयान, काले रंग वाले अफ्रीकी, पूर्वोत्तर वाले चीनी

राहुल गांधी के गुरु इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बार जहर उगला है। लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करते हुए सैम पित्रोदा ने चमड़ी के रंग के आधार पर भारतीयों का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों संसाधनों के पुनर्वितरण और विरासत टैक्स की बात कहकर बीच चुनाव में नया मुद्दा खड़ा कर दिया था। उनके बयान को पीएम मोदी ने भी हाथोंहाथ लेते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। अब उन्होंने फिर से ऐसी बात कह दी है, जिस पर वह घिर सकते हैं। सैम पित्रोदा ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए भारतीयों के रंग-रूप को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत कै लोग चीनी जैसे दिखते हैं। दक्षिण भारतीय काले हैं और अफ्रीकी जैसे दिखते हैं। उत्तर भारतीय कुछ हद तक गोरे हैं। भारत की विविधता की बात करते हुए की गई सैम की ऐसी टिप्पणी नया विवाद खड़ा कर सकती है।
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